लखनऊः आज लखनऊ विश्वविद्यालय के मालवीय सभागार में शोआ फातिमा एजुकेशनल ट्रस्ट एण्ड सोसायटी के तत्वावधान में डाॅ0 शमीम निकहत उर्दू फिक्शन अवार्ड सम्मान समारोह आयोजित किया गया। इस अवसर पर राज्यपाल श्री राम नाईक ने डाॅ0 शमीम निकहत उर्दू फिक्शन अवार्ड वर्ष 2015 के लिये इकबाल मजीद (मुरादाबाद), वर्ष 2016 के लिये सैय्यद मोहम्मद अशरफ (एटा) तथा वर्ष 2017 के लिये डाॅ0 तरन्नुम रियाज (श्रीनगर) को स्मृति चिन्ह, सम्मान पत्र व पुरस्कार देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम में पूर्व मंत्री डाॅ0 अम्मार रिज़वी, कुलपति प्रो0 एस0पी0 सिंह, प्रो0 शारिब रूदौलवी, डाॅ0 शमसुर रहमान फारूखी, डाॅ0 आरिफ नकवी, प्रो0 साबरा हबीब, डाॅ0 सबीहा अनवर, उर्दू रायटर्स फोरम के वकार रिज़वी तथा बड़ी संख्या में उर्दू विद्वानों सहित छात्र-छात्रायें उपस्थित थे।

राज्यपाल ने अपने विचार व्यक्त करते हुये कहा कि ‘फिक्शन लिखना मुश्किल होता है, जबकि सच लिखना आसान होता है। यह बात बिल्कुल वैसे ही है जैसे इतिहास लिखना आसान होता है पर इतिहास बनाना मुश्किल होता है। मैंने अपने जीवन के अनुभव चरैवेति! चरैवेति!! नामक संस्मरण में लिखे हंै। मेरे लिये यही मुश्किल काम था, जबकि वह सच्चाई है।’ उन्होंने रामनवमी की बधाई देते हुये कहा कि यह सुखद संयोग है कि सम्मान समारोह रामनवमी की पूर्व संध्या पर आयोजित किया गया है।

श्री नाईक ने उर्दू भाषा पर अपने विचार रखते हुये कहा कि उर्दू को राज्य की दूसरी भाषा होने का अधिकार मिलना चाहिये। उन्होंने बताया कि जब वे राजभवन आये तो राजभवन के किसी गेट पर संख्या उल्लिखित नहीं थी। उनके प्रयास से सभी गेटों पर जनता की सुविधा के लिये तीनों भाषाओं में पट्टिका लगायी गयी हैं। उन्होंने यह भी बताया कि जब उन्हें यह जानकारी हुई कि उत्तर प्रदेश में उर्दू को राज्य की दूसरी भाषा का दर्जा प्राप्त है तो उन्होंने अपनी पुस्तक ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ का हिंदी और अंग्रेजी सहित उर्दू में भी प्रकाशन कराया। उन्होंने कहा कि भाषा कोई भी हो वह एक-दूसरे को जोड़ने का काम करती हैं।

राज्यपाल ने शोआ एजुकेशनल ट्रस्ट द्वारा महिला शिक्षा के लिये किये जा रहे प्रयासों की सराहना करते हुये कहा कि महिलायें आगे बढे़ंगी तो देश बढे़गा। शिक्षा में बुनियादी स्तर से गुणवत्ता बढ़ाने की जरूरत है। समाज गुणवत्तायुक्त शिक्षा देने के लिये आगे आये। बदलते परिवेश में आज लड़कियों को अच्छी शिक्षा देने की आवश्यकता है। पहले लड़कियों को शिक्षा कम दी जाती थी। आज स्थिति में परिवर्तन हुआ है। कुलाधिपति के रूप में उन्होंने देखा है कि विश्वविद्यालयों में लड़कों से ज्यादा लड़कियाँ पदक प्राप्त कर रही हैं। उन्होंने कहा कि यह महिला सशक्तीकरण का एक चित्र है। इसलिये महिलाओं को पढ़ाई के लिये प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है।

कुलपति लखनऊ विश्वविद्यालय प्रो0 एस0पी0 सिंह ने जानकारी दी कि विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग की बिल्डिंग में दो तल और निर्मित किये जायंेगे तथा छात्र-छात्राओं के लिये अन्य सुविधायें भी बढ़ायी जायेंगी।
इस अवसर पर डाॅ0 अम्मार रिज़वी, डाॅ0 शमसुर रहमान फारूखी, डाॅ0 आरिफ नकवी सहित डाॅ0 शारिब रूदौलवी ने भी अपने विचार रखे।