सुलतानपुर। बेटे की हत्या में गवाह ग्राम प्रधान की हत्या की साजिश रचने वाले युवक को असलहे के साथ गिरफ्तार किया गया। जबकि अन्य आरोपी पुलिस को चकमा देकर फरार हो गये। पुलिस ने आरोपी को एसीजेएम पंचम की अदालत में पेश किया। जिसे जेल भेजने की कार्यवाही की गई। वही प्रधान की जान को खतरा होने के बावजूद भी अभी तक प्रधान को सुरक्षा व्यवस्था नही मिली है।
मामला पीपरपुर थानाक्षेत्र के परसूपुर मजरे रामपुर से जुड़ा है। जहां के रहने वाले ग्राम प्रधान दशरथ यादव के बेटे संदीप यादव की 23 अगस्त 2014 की शाम को धारदार हथियार से आरोपीगण बृजेश सिंह, उमेश सिंह, दिनेश सिंह निवासीगण ठाकुररामपुरवा मजरे रामपुर, संतोष सिंह-भारामल का पुरवा व सूरज सिंह असरवन आदि ने हत्या कर दी थी। जिनके खिलाफ एडीजे चतुर्थ की अदालत में विचारण चल रहा है। मामले में बयान पलटने के लिए आरोपियों ने प्रधान दशरथ यादव पर दबाव भी बनाया। इन्कार करने पर 17 नवम्बर 2015 को उन पर जानलेवा हमला भी हुआ। जिसमें बृजेश सिंह, उमेश सिंह व सत्येन्द्र सिंह नामजद हुए और उनके खिलाफ आरोप पत्र भी दाखिल हुआ।इस मामले का विचारण एडीजे सप्तम की अदालत में चल रहा है। अभी हाल में ही इस मामले के आरोपी जेल से रिहा हुए जिसके बाद फिर उन्होंने प्रधान की हत्या की साजिश रचने की शुरूआत कर दी। जिसके क्रम में इस बार उन्होंने प्रधान के पड़ोसी दीपक पाल को ही मिलाकर हत्या की साजिश रची। पुलिस के मुताबिक हत्यारोपी सूरज सिंह प्रधान के पड़ोसी दीपक को 315 बोर का तमंचा व कारतूस देकर प्रधान की हत्या करने पर पांच लाख रूपये देने का सौदा तय किया था। जिसकी सूचना मिलते ही पुलिस ने शुक्रवार की देर रात साजिश रच रहे आरोपियों को पकड़ने के लिए घेराबंदी की, लेकिन आरोपी सूरज सिंह फरार हो गया। जबकि आरोपी दीपक पाल पकड़ा गया,जिसके पास से 315 बोर का तमंचा व दो जिन्दा कारतूस बरामद किया गया।वही मिली जानकारी के मुताबिक हत्या की साजिश रचने में दीपक व सूरज के अलावा अन्य आरोपी भी शामिल थे, जिनका नाम भरत उपाध्याय ने अपनी तहरीर में नही दर्शाये है,आखिर उनका नाम न दर्शाने की वजह क्या है यह तो पुलिस ही बता सकती है। फिलहाल इस कार्यशैली को लेकर थानाध्यक्ष की भूमिका संदेह के घेरे में है, वही बरामद असलहे के साथ पकड़े गए आरोपी दीपक को एसीजेएम पंचम की अदालत में पेश किया गया। प्रभारी न्यायाधीश अनिल कुमार सेठ ने आरोपी की रिमांड स्वीकृत कर जेल भेजने का आदेश दिया है। मालूम हो कि दोनों ही मामलो में सम्बंधित अदालत ने गवाहों की सुरक्षा के लिए आदेश भी दिया है,बावजूद इसके पीपरपुर पुलिस के जरिये प्रधान दशरथ व अन्य गवाहों की सुरक्षा के प्रति लापरवाही बरती जा रही है।जिसका नतीजा है कि पुलिस की ढुलमुल व्यवस्था को अपने अनुकूल समझ कर प्रधान की हत्या के लिए आरोपीगण फिर से ताना बाना बुनना शुरू कर दिए है। पुलिस दशरथ व अन्य गवाहों की सुरक्षा के प्रति कितनी जिम्मेदार है इस बात का अंदाजा तो इसी से लगाया जा सकता है कि जिस प्रधान की हत्या की साजिश रचते युवक को पकड़कर थानाध्यक्ष भरत उपाध्याय स्वयं मुकदमा दर्ज करा रहे है, उस प्रधान को अभी तक सुरक्षा व्यवस्था नही मिली है।पुलिस की इस कार्यशैली से ऐसा मालूम पड़ता है कि जैसे उन्होंने फरार हुए आरोपी सूरज सिंह आदि से मिलकर अभी उन्हें अपने मंसूबो को अंजाम देने के लिए फ्री छोड़ कर रखा हो या फिर उन्हें गवाहों की सुरक्षा की परवाह ही नही है। पुलिस विभाग के उच्चाधिकारी भी थानाध्यक्ष की इस कार्यशैली से अंजान बने हुए है।