सुलतानपुर। विकास खंड धनपतगंज में सबको सस्ती सिच्छा दिलाने का सरकारी
दावा शिक्षा माफियाओ के आगे लाचार नजर आ रहा है।बिना मान्यता के संचालित
इंग्लिश मीडियम के नाम पर संसाधन विहीन स्कूलों में प्रवेश के नाम पर हो
रही उगाही से परेशान अभिभावकों ने इन स्कूलों पर अंकुश लगाने की मांग
प्रशासन से की है।

दबंग शिक्षा माफियाओ के आगे प्रशासन की बेबसी साफ नजर आ रही है। बच्चो की
सुरक्षा को लेकर स्कूल प्रशासन की गैर जिम्मेदारी से संभावित गंभीर घटना से
इंकार नहीं किया जा सकता। एक तरफ व्यवस्था के नाम पर तो दूसरी तरफ कॉपी
किताब के नाम पर भारी भरकम अवैध वसूली के बाद भी स्कूलों की दशा बद से
बदतर बनी है। हवा व् गर्मियो में चद्दर की तपन व् जरा से झटके में
दीवालों का हिलना सामने मौत नजर आती है उसके बाद भी अपनी आमदनी बढ़ाने में
लगे विद्यालय प्रशासन को इन समस्याओ से कोई मतलब नहीं है। आखिर इस अवैध
धंधे में लिप्त लोगो पर कार्यवाही की हिम्मत प्रशासन में क्यो नहीं है?
यह ग्रामीणों में ययक्ष प्रश्न बना है। सूत्र बताते है कि इन पर अंकुश से
एक तरफ जिम्मेदारों की आमदनी में कमी होगी तो दूसरी तरफ उन्हें रसूखदारों
की हनक का भी शिकार होना पड़ता है।

पूर्व में मानक विहीन स्कूल का छज्जा ढहने से हुआ था हादसा,

विगत पिछले साल में थाना कूरेभार के पुरखीपुर चैराहे पर स्थित राज इंटर
कालेज का छज्जा गिरने से दर्जन भर बच्चे घायल हुए थे, घटना से जनपद के
आला अधिकारियो के हाथ पांव फूल गये थे और इन पर अंकुश के लिए प्रशासन ने
कमर कसी थी।धनपतगंज विकास खण्ड के आर डीह (बिनगी) समेत दर्जन भर से अधिक
स्थानों पर मानक विहीन भवनो में बिना मान्यता के चल रहे सीबीएसई बोर्ड के
पाठ्यक्रम पर प्रसासनिक मेहरबानी से भविष्य में पुरखीपुर की तरह किसी
गंभीर घटना से इंकार नहीं किया जा सकता। हालांकि किसी भी दुर्घटना में न
तो प्रबंधतंत्र का कोई बच्चा है न ही किसी अधिकारी का फिर उन्हें चिंता
भी जेब भरने के अलावा किसी की नहीं है।

अंग्रेजी माध्यम स्कूल का है यह मानक, क्या इन पर खरे है यहाँ के विद्यालय?

अंग्रेजी माध्यम के क्लास के लिए सीबीएसई बोर्ड नई दिल्ली से मान्यता के
बिना क्लास चलाना पूरी तरह अवैध है। निर्धारित मानक के साथ ही पुस्तके
उपलब्ध होनी चाहिए, परन्तु कमीशन बाजी के खेल में मान्यता की किसी भी
प्रकाशन की पुस्तकें लगवाना यह अपना अधिकार मानते है जबकि यह पूरी तरह
गैर कानूनी है। हालांकि ज्यादातर स्कूलों में किसी की भी मान्यता इंग्लिश
मीडियम की नहीं है।

मान्यता हिंदी की चलती है इंग्लिश मीडियम की क्लास

चोरी कहे य सीनाजोरी। मान्यता हिंदी मीडियम की क्लास चल रही है इंग्लिश
मीडियम की। जबकि मान्यता के समय प्रबंधतंत्र बाकायदा शपथ पत्र देकर बेसिक
नियमो के तहत क्लास चलाने का हलफनामा देकर स्कूल चलाने का वादा भी करते
है परंतु मान्यता के बाद कानून खुद का लगाते है, और बाकायदा हर महीने
निर्धारित सुल्क बिभाग को अदा कर उन्हें भी अपने गोरख धंधे में सरीक करते
है। प्रशासन की मजबूरी है, या फिर दरियादिली अथवा शिक्षा माफियाओ का दबाव
।ग्रामीण अपने पाल्यो के भविष्य को लेकर चिंतित नजर आ रहे है।