धर्मशाला: बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी पर कब्जे को लेकर भारत और ऑस्ट्रेलिया (India vs Australia) के बीच धर्मशाला में खेले जा रहे चार मैचों की सीरीज के तीसरे और निर्णायक मैच में टीम इंडिया ने अपनी पकड़ काफी मजबूत कर ली है. पहले दो दिन दोनों टीमों के बीच जोरदार संघर्ष देखने को मिला, लेकिन तीसरे दिन के खेल में टीम इंडिया पूरी तरह हावी नजर आई. ऐसा ऑलराउंडर रवींद्र जडेजा के करिश्माई प्रदर्शन के कारण संभव हुआ. जडेजा ने 63 रन बनाने के बाद गेंद से भी धमाकेदार प्रदर्शन करते हुए ऑस्ट्रेलिया को बैकफुट पर धकेल दिया. इसमें तेज गेंदबाज उमेश यादव और रविचंद्रन अश्विन का भी अहम योगदान रहा. दूसरी पारी में पूरी ऑस्ट्रेलियाई टीम 137 रन पर ही सिमट गई. रवींद्र जेडजा, आर अश्विन और उमेश यादव ने तीन-तीन विकेट, तो भुवनेश्वर ने एक विकेट लिया. टीम इंडिया को यह मैच जीतकर सीरीज पर कब्जा करने के लिए 106 रन की जरूरत है. दिन का खेल खत्म होने तक टीम इंडिया ने 19 रन बना लिए. मुरली विजय (6) और लोकेश राहुल (13) नाबाद रहे. भारत को अब 87 रनों की और जरूरत है.

ऑस्ट्रेलिया की दूसरी पारी में ग्लेन मैक्सवेल के अलावा कोई भी कंगारू बल्लेबाज टिक नहीं पाया. पहली पारी में भारत से 32 रन से पिछड़ने के बाद दूसरी पारी में ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजी लड़खड़ा गई. ग्लेन मैक्सवेल ने सर्वाधिक 45 रन बनाए, जिसमें 6 चौके और एक छक्का जड़ा. मैथ्यू वेड 25 रन पर नाबाद रहे. अन्य कोई भी बल्लेबाज टिक कर नहीं खेल पाया. 6 बल्लेबाज तो दहाई अंक तक भी नहीं पहुंचे. उमेश यादव ने डेविड वॉर्नर को 6 रन पर कीपर साहा के हाथों कैच कराकर भारत को पहली सफलता दिलाई, फिर भुवनेश्वर कुमार ने पहली पारी के शतकवीर स्टीव स्मिथ को बोल्ड कर दिया. इसके बाद उमेश ने मैट रेनशॉ को पैवेलियन की राह दिखाकर ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजी को जोरदार झटका दिया. दिन के खेल में लंच से ठीक पहले ऑस्ट्रेलिया के पहली पारी के 300 रनों के जवाब में टीम इंडिया की पहली पारी 332 रनों पर सिमट गई. इस प्रकार टीम इंडिया को पहली पारी में 32 रनों की बढ़त मिली थी.

रवींद्र जडेजा ने इस सीजन में गेंद के साथ-साथ बल्ले से भी कमाल दिखाया है. उन्होंने 2016-17 के सीजन में 50 से अधिक के स्कोर बनाए हैं. धर्मशाला में उन्होंने करियर की सातवीं फिफ्टी ठोकी, जो ऐसे समय आई है, जब टीम इंडिया को इसकी खासी जरूरत थी. विश्व क्रिकेट में जडेजा सहित तीन खिलाड़ी ही ऐसे हैं, जिन्होंने किसी सीजन विशेष में 500 से अधिक रन बनाने के साथ ही 50 से अधिक विकेट भी लिए हैं. इससे पहले ऑस्ट्रेलिया के मिचेल जॉनसन ने 2008-09 के सीजन में और भारत के ही कपिल देव ने 1979-80 के सीजन में यह कमाल किया था.

सुबह के सत्र तक टीम इंडिया पर हावी दिख रही ऑस्ट्रेलियाई टीम चायकाल तक बिखर गई और दूसरी पारी में उसकी बल्लेबाजी चरमरा गई. चाय से 92 रन पर पांच विकेट गंवा चुकी कंगारू टीम के लिए चाय के बाद ग्लेन मैक्सवेल ने मैथ्यू वेड के साथ 14 रन ही जोड़े थे कि उनको अंपायर ने आर अश्विन की गेंद पर पगबाधा करार दिया. वास्तव में उन्होंने भीतर की ओर आ रही गेंद पर कोई शॉट ऑफर नहीं किया और विकेटों के सामने पकड़े गए. उन्होंने डीआरएस लिया, लेकिन 'अंपायर्स कॉल' हो गई. मैक्सवेल ने 45 रनों की पारी खेली जिसमें 6 चौके और एक छक्का लगाया. स्कोर में 15 रन और जुड़े थे कि जडेजा ने पैट कमिन्स को 12 रन पर रहाणे के हाथों कैच कराते हुए सातवां विकेट चटका दिया. 121 रन पर ही जडेजा ने आठवां झटका भी दे दिया. उमेश यादव ने नैथन लियोन के रूप में नौवां विकेट झटका. अंतिम विकेट अश्विन ने लिया और हेजलवुड को अपना तीसरा शिकार बनाया.