लखनऊ : फैशन उद्योग, विभिन्न व्यवसायों एवं उद्यमों में कार्यरत महिलाओं के वस्त्र विन्यास के प्रति हमेशा संवदेनशील रहा है। व्यवसायी एवं कार्यरत महिलाएं कार्य स्थल पर पहने जाने वाले वस्त्रों में खुद को सहज और आत्मविश्वास से परिपूर्ण महसूस करें इसी बात को केन्द्र में रखकर फैशन उद्योग ने 70 के दशक में पावर डेªसिंग की परिकल्पना प्रस्तुत की। तब से अब तक पावर डेªसिंग कार्यालयों से निकल कर रोजमर्रा के जीवन में भी शामिल हो चुका है। पावर डेªसिंग की वर्तमान स्थिति और भविष्य की संभावनाओं पर चर्चा-परिचर्चा करने हेतुइ एमिटी स्कूल आॅफ फैशन टैक्नोलाॅजी, एमिटी विश्वविद्यालय उत्तर प्रदेश, लखनऊ परिसर के तत्वावधान में सफलता का प्राभावी रास्ता ‘पावर ड्रेसिंग और स्व-स्थायित्व एवं आत्मविश्वास पर इसके महत्वपूर्ण प्रभाव’ विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया।

मुख्य अतिथि प्रसिद्ध गायिका एवं आईएएस अनुपमा राग एवं मुख्य वक्ता निदेशक एनआईएफटी, रायबरेली डाॅ. भरत शाह ने दीप प्रज्ज्वलित कर सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस अवसर पर निदेशिका एमिटी स्कूल आॅफ फैशन टेक्नोलाॅजी प्रो. पूजा वर्मा सहित एनजे क्रियेसन्स की निदेशिक अर्शी जमाल, वी. मार्ट स्टोर की क्षेत्रीय प्रबंधक असीमा गोगोई, स्पेंसर यूपी पूर्व की क्षेत्रीय प्रबंधक पूजा सिंह और फैशन डिजाइनर गौरव गोस्वामी उपस्थित रहे।

बतौर मुख्य वक्ता बोलते हुए डा. भरत शाह ने कहा कि जीवन के किसी भी क्षेत्र में व्यक्तिगत ब्रांडिंग का आज महत्वपूर्ण स्थान है। सही स्थान पर सही वस्त्रों का चुनाव व्यक्ति की पहचान स्थापित करने में सहायक सिद्ध होती है। उन्होंने कहा कि आपका वस्त्र विन्यास 30 सेकेण्डों में देखने वालों के संज्ञान में आ जाता है। इसलिए आपका पहला प्रभाव ही आपकी छवि निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। अच्छी तरह से तैयार वस्त्र न केवल दूसरों पर प्रभाव छोड़ते हैं बल्कि ख्ुाद के आत्मविश्वास को बढ़ाने में कारगर सिद्ध होते हैं। उन्होंने बताया कि 70 के दशक में विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत महिलाएं पुरुषों की भांति पैंट-शर्ट आदि पहनती थीं। परन्तु पावर डेªसिंग के आने के बाद स्थितियां बदलीं और कार्यस्थल पर महिलाओं द्वारा ऐसे वस्त्रों का चुनाव किया जाने लगा जो कि उनके व्यक्तित्व को उभारने के साथ ही उनके स्त्री तत्व की भी पहचान बनाये रखे। उन्होंने कहा कि पावर डेªसिंग के मूल में अच्छा दिखना और अच्छा महसूस करने की भावना छिपी होती है।
मुख्य अतिथि अनुपमा राग ने कहा कि मेरे लिए अच्छी ड्रेस वही है जों कि मेरी त्वचा पर अच्छा लगे और जिसमें मै सहज महसूस कर सकूं। उन्होने कहा कि हर किसी को अपने शरीर के हिसाब से वस्त्रों का चुनाव करना चाहिए परेशानी तब होती है जब हम इस बेसिक नियम की अवहेलना करते हैंै। अनुपमा राग ने कार्यस्थल पर पहने जाने वाले वस्त्रों के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि, वस्त्र आपके व्यक्तित्व की पहचान होते हैं और थोडी सी जानकारी के साथ इसे निखारा जा सकता है।
सम्मेलन में पाॅवर ड्रेसिंग का वर्तमान, भूत और भविष्य, कार्यस्थल पर पाॅवर ड्रेसिंग का प्रभाव और कैरियर और आत्मविश्वास पर पाॅवर ड्रेसिंग का प्रभाव विषयक चर्चा सत्रों का भी आयोजन किया गया। जिसमें प्रतिभागियों और विशेषज्ञों द्वारा पाॅवर ड्रेसिंग के विभिन्न आयामों पर चर्चा की गई।