लखनऊ: उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के ड्रीम प्रोजैक्ट लखनऊ मेट्रो अब लटकता दिख रहा है. रिकॉर्ड समय में ट्रायल रन शुरू करने वाली ये मेट्रो पटरी पर सवारी ढोने से पहले ही हांफने लगी है.
एक तरफ अभी तक सवारी डिब्बे नहीं पहुंचे हैं दूसरी तरफ रेलवे बोर्ड से जरूरी सहमति नहीं मिलने से मेट्रो का पब्लिक कामर्शियल संचालन अधर में लटक गया है.

फाइलों में फंसी अखिलेश की लखनऊ मेट्रो, जल्द दौड़ने की उम्मीद कम उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के ड्रीम प्रोजैक्ट लखनऊ मेट्रो अब लटकता दिख रहा है. रिकॉर्ड समय में ट्रायल रन शुरू करने वाली ये मेट्रो पटरी पर सवारी ढोने से पहले ही हांफने लगी है.

दरअसल लखनऊ मेट्रो को अब तक आरडीएसओ द्वारा किए गए ओसीलेशन ट्रॉयल की रिपोर्ट रेलवे बोर्ड से नहीं मिली है. ऐसे में रेल संरक्षा आयुक्त से क्लीयरेंस सिर्फ पांच दिनों में मिल पाना असंभव है. वहीं डाउन लाइन चालू करने के लिए चार कोच लखनऊ नहीं पहुंचे हैं.

दरअसल लखनऊ मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (एलएमआरसी) ने एक दिसंबर 2016 को ट्रायल करने में सफलता हासिल कर ली थी. माना जा रहा था कि इसके चार महीने बाद लखनऊ मेट्रो का पब्लिक कमर्शियल संचालन शुरू कर दिया जाएगा.

लेकिन ऐसा नहीं हो सका. जानकारी के अनुसार एलएमआरसी की तरफ से सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली हैं, अब अनुसंधान अभिकल्प एवं मानक संगठन (आरडीएसओ) और रेलवे बोर्ड के बीच में लखनऊ मेट्रो प्रोजैक्ट फंसा हुआ है.

पहले आरडीएसओ द्वारा विलंब से ट्रायल शुरू किया गया. वहीं अब तक ओसीलेशन रिपोर्ट रेलवे बोर्ड से लखनऊ मेट्रो को नहीं मिल सकी है. यही कारण है कि लखनऊ मेट्रो अभी तक रेल संरक्षा आयुक्त को क्लीयरेंस के लिए संपर्क तक नहीं कर पा रहा है.

मेट्रो के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि रिपोर्ट मिलने से पहले वे क्लीयरेंस के लिए आवेदन नहीं कर सकते हैं. उधर लखनऊ मेट्रो की कार्यदायी संस्था एलस्टाम की तरफ से अभी तक शुरुआती कोचों की सप्लाई नहीं गई है. ये तारीख लगतार बढ़ती जा रही है.