नई दिल्ली: पंजाब के नए पर्यटन मंत्री बनाए गए पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू एक बार फिर चर्चाओं में हैं। हालांकि सिद्धू भी इस तरह के विवादों को डटकर सामना करते रहे हैं। गुरुवार को कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार में कैबिनेट मंत्री की शपथ लेने वाले सिद्धू को स्थानीय प्रशासन और पर्यटन और संस्कृति मामलों का कार्यभार सौंपा गया है। हालांकि सिद्धू ने सोनी एंटरटेनमेंट चैनल पर आने वाले शो कॉमेडी नाइट्स विद कपिल शर्मा का हिस्सा बने रहने का फैसला किया है। सिद्धू ने कहा, “अगर मुझे समस्या नहीं है तो आप लोग क्यों चिंता कर रहे हो। अगर मुझे शो करना होगा तो मैं यहां (पंजाब) 3 बजे निकलूंगा और सुबह किसी के भी उठने से पहले वापस आ जाउंगा।”

उनके इस फैसले से विवाद पैदा हो गया है क्योंकि कई कांग्रेसी नेता ही इसके खिलाफ है। यूं तो सिद्धू और कपिल शर्मा दोनों ही अमृतसर के रहने वाले हैं, लेकिन मुख्य बिंदू यह है कि सिद्धू इस शो में जाने के लिए पैसे भी लेते हैं। ऐसे में कांग्रेस को डर है कि विधायक के तौर पर सिद्धू “ऑफिस ऑफ प्रॉफिट (लाभ का पद)” धारण करने वाला समझा जाएगा। कांग्रेस को यह भी डर सता रहा है कि पार्टी के ही अन्य नेता इस संबंध में चुनाव आयोग और पंजाब के गवर्नर को ना लिख दें।

हालांकि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 102 के अंतर्गत आने वाले लाभ का पद (Office of Profit) की धारा (ए) तभी लागू होती है जब आप सरकारी पद धारण करते हैं, भले ही आप पैसे ले रहे हों या नहीं। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 102 (1)(क) के अनुसार, “कोई व्यक्ति संसद् के किसी सदन का सदस्य चुने जाने के लिए और सदस्य होने के लिए अयोग्य होगा यदि वह भारत सरकार के या किसी राज्य की सरकार के अधीन कोई लाभ का पद धारण करता है।” उदाहरण के तौर पर लोकसभा सांसद सोनिया गांधी को यूपीए 1 सरकार द्वारा राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की अध्यक्ष बनाया गया था। लेकिन जब “लाभ के पद” का मुद्दा उठाया गया था, तो उन्हें सांसद के तौर पर हटना पड़ा था।