लखनऊ: राजधानी लखनऊ में करीब 12 घंटे चली मुठभेड़ के बाद मारे गए सैफुल्लाह के संबंध में उत्तर प्रदेश पुलिस ने कई चौंकाने वाले तथ्य उजागर किए हैं. पुलिस के अनुसार सैफुल्लाह सहित उत्तर प्रदेश से अब तक गिरफ्तार सभी आरोपियों के आईएसआईएस से लिंक के सबूत नहीं मिले हैं.
शुरुआती जांच के हिसाब से ये स्वघोषित कट्टरपंथी हैं. जो खुद को आईएसआईएस खुरासान ग्रुप के तौर पर खुद को प्रचारित कर रहे थे.
अपर पुलिस महानिदेशक कानून व्यवस्था दलजीत चौधरी ने बुधवार को लखनऊ में प्रेस कांफ्रेंस करते हुए बताया कि दूसरे राज्यों और केंद्रीय एजेंसियों से मिली सूचना के आधार पर लखनऊ, कानपुर सहित आसपास के इलाकों में कार्रवाई की गई, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हुई है, जबकि तीन लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है, वहीं दो लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है.

उन्होंने बताया कि लखनऊ के घर में आतंकियों के छिपे होने की सूचना मिली थी, जिसके बाद कार्रवाई की गई. आॅपरेशन में दूसरी तरफ से कई फायर किए गए, इधर जवाबी कार्रवाई में पहले हमने आरोपी को जिंदा पकड़ने की कोशिश की. इस दौरान पड़ोस के एक बुजुर्ग से भी बात कराने की कोशिश की गई. यही नहीं कानपुर में सैफुल्लाह के भाई से भी उसकी बात फोन पर कराई गई लेकिन वह नहीं माना. आखिरकार देर रात जवाबी कार्रवई में उसकी मौत हो गई.

दलजीत चौधरी ने बताया कि मौके से पुलिस को आठ पिस्टल, 600 से ज्यादा कारतूस, बम बनाने का सामान, पैलेट, टाइमर्स, तार आदि बरामद हुए हैं. यही नहीं रियाल के अलावा तीन पासपोर्ट मिले हैं, जिसमें से एक सैफुल्लाह का है, बाकी दो अन्य लोगों के हैं, जिसकी जांच की जा रही है.
उन्होंने बताया कि इसके अलावा उर्दू और अंग्रेजी में भी काफी साहित्य मिले हैं. एडीजी ने बताया कि मौके से पुलिस ने एक बाइक भी बरामद की है, जिसका नंबर कानपुर का है. आरटीओ से संपर्क कर उसके मालिक का पता लगाया जा रहा है.
शुरुआती जांच में पता चला है कि ये स्वघोषित कट्टरपंथी हैं, जिनका झुकाव आईएसआईएस की तरफ था.
आईएस से सीधे कोई लिंक अभी तक इनका नहीं मिला है. ये अपने पैसे जुटाकर बम आदि बनाने की कोशिश कर रहे थे. अभी तक ये किसी बड़ी घटना को अंजाम देने में सफल नहीं हो सकते थे.
उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश में भोपाल-उज्जेैन पैसेंजर में हुए बम ब्लास्ट पर कार्यवाही करते हुए मध्य प्रदेश पुलिस ने यूपी के रहने वाले तीन संदिग्ध आतंकियों को पिपरिया से गिरफ्तार किया गया.
इनमें कानपुर की केडीए कॉलोनी का दानिश अख्तर, अलीगढ़ की इंदिरानगर का सैय्यद मीर हुसैन उर्फ हमजा और कानपुर के जाजमऊ का आतिश मुजफ्फर उर्फ अल कासिम शामिल हैं. एजेंसियों से प्राप्त इनपुट के अनुसार उक्त गेैंग के अन्य सदस्यों के यूपी के कई जिलों में छिपे होने की सूचना मिली.
एडीजी ने बताया कि लखनऊ में सबसे पहले काकोरी थाना क्षेत्र के जिस मकान में सैफुल्लाह उर्फ अली की लोकेशन मिली, वह मकान बादशाह खान का है, जो बाहर रहते हैं. सैफुल्लाह यहां किराए पर रहता था. लगभग 12 घंटे चली मुठभेड़ मे एटीएस द्वारा प्रयास किया गया कि सेैफुल्लाह को जीवित गिरफ्तार कर लिया जाए.
एटीएस टीम द्वारा संदिग्ध आतंकी को जिन्दा पकड़ने के उद्देश्य से छत एवं दीवार में छेद कर मिर्ची बम डाला गया लेकिन सैफुल्लाह द्वारा ताबडतोड़ फायरिंग की जाती रही. आखिरकार बुधवार सुबह लगभग तीन बजे टीम दरवाजा काटकर अंदर घुसी और सामने-सामने हुई मुठभेड़ में सैफुल्लाह मारा गया.
उसके कमरे से 8 पिस्टल, 4 चाकू, .32 बोर के 630 जिन्दा कारतूस और 71 खोखा बरामद किया गया है. यही नहीं 45 ग्राम सोना, 3 मोबाइल फोन, बैकों की चेक बुक, एटीएम कार्ड, आतिफ मुजफ्फर के नाम का पैन कार्ड, 4 सिम कार्ड, एक बाइक डिस्कवर यूपी 78 सीपी/9704 बरामद की गई.
साथ ही दो वाकी-टाकी सेट, छर्रा भरा एक बोतल, पलिता 1 पैकेट, 2 बोतल भरे गन पाउडर, काले रंग के कपड़े का बैनर (जिस पर अरबी में लाइलाहा इलल्लाह अल रसूल मुहम्मद लिखा है), तीन अदद पासपोर्ट अतीक, दानिश और सैफुल्लाह के नाम का, उर्दू और अंग्रेजी में हस्त लिखित साहित्य और नकदी डेढ़ लाख रुपए के साथ ही विदेश मुद्रा रियाल के कुछ नोट मिले हैं.
वहीं कानपुर एटीएस द्वारा कानपुर पुलिस के सहयोग से जाजमऊ थाना क्षेत्र से जेजे कालोनी के पास से दो युवकों को हिरासत में लिया गया. इनमें से एक मोहम्मद फैजल खां के पास से बरामद मोबाईल से प्रचार सामग्री पायी गई. इसके बाद फैजल को गिरफ्तार कर​ लिया गया है, वहीं उसके भाई और दूसरे संदिग्ध युवक मोहम्मी इमरान उर्फ भाई जान से पूछताछ की जा रही है. अभी तक उसकी कोई संलिप्तता के सबूत नहीं मिले हैं.
इटावा में इसी माड्यूल के एक अन्य संदिग्ध आतंकी फखरे आलम उर्फ रिशु को गिरफ्तार किया गया है. उसके पस से एक पिस्टल मय कारतूस बरामद हुई.
इस घटना के क्रम मे डीजीपी उत्तर प्रदेश की तरफ से पूरे प्रदेश में हाईअलर्ट घेषित कर दिया गया है.