लखनऊ: बसपा सुप्रीमो मायावती ने मोहम्मद आजम खान पर हमला करते हुए कहा कि सपा नेता द्वारा मुसलमानों को लानत-मलामत करना अशोभनीय ही नहीं बल्कि सपा की चाटूकारिता भी है।

मायावती ने कहा कि आजम खान अपनी जमीर को मारकर पहले सपा नेता मुलायम सिंह यादव और अब उनके पुत्र ’’बबुआ’’ की चाटूकारी कर रहे हैं और मुसलमानों को सपा का गुलाम बना कर रखने की उनकी कोशिश अब पूरी तरह से नाकाम साबित हो गई है। अब मुस्लिम समाज के लोग खुद अपने अच्छे बुरे को समझ कर के फैसला ले रहे हैं कि उत्तर प्रदेश में केवल बी.एस.पी. व उसका मजबूत नेतृत्व ही बीजेपी एण्ड कम्पनी, आर.एस.एस. व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साम्प्रदायिक व फासिस्ट एजेण्ट को विफल कर सकती है और इसलिये उन्होंने इस खास मकसद को लेकर काफी बढ़-चढ़ कर विधानसभा आमचुनाव में भाग लिया है जो आजम खान की नाराजगी का कारण बना है। परन्तु सपा नेता को अपने भविष्य से ज्यादा अपनी कौम की, सूबे की व मुल्क की फिक्र पहले करनी चाहिये।

मायावती ने अपने बयान में कहा कि जहाँ तक बी.एस.पी. का सवाल है तो इस पार्टी ने कभी किसी समाज का सिर झुकने नहीं दिया है। वह सर्वसमाज के हित व कल्याण के लिये पूरी ईमानदारी व निष्ठा के साथ हर स्तर पर काम करती रही है। यही कारण है कि मुस्लिम समाज के लोगों को बी.एस.पी. के नेतृत्व पर ज्यादा भरोसा है। वे तथ्यों के आधार पर यह भी जानते है कि जब-जब बी.एस.पी. यहाँ सत्ता में रही है तब-तब बीजेपी काफी कमजोर हुयी है जबकि जब सपा की यहाँ हुकुमत रही है तो बीजेपी मजबूत हुयी है। ऐसा इसलिये कि सपा व भाजपा दोनों में अन्दुरूनी मिलीभगत रही है और दोनों एक-दूसरे की भीतरी मदद करते रहे है। इन दोनों पार्टियों की मिलीभगत के कारण ही सपा के शासनकाल में करनैलगंज (गोण्डा) व मुजफ्फरनगर जैसे भीषण साम्प्रदायिक दंगे होते हैं और फिर सपा व भाजपा इसकी आड़ में राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश करती हैं जबकि बी.एस.पी. की हुकुमत में उत्तर प्रदेश दंगा-मुक्त रहता है और सर्वसमाज का जान-माल व मजहब हर प्रकार से सुरक्षित रहता है।

ऐसी स्थिति में सपा नेता आजम खान को सपा के ऊपर लानत-मलामत करनी चाहिये, ना कि मुस्लिम समाज के ऊपर जो अब सपा की गुलामी त्यागकर व बीजेपी को हराने के लिये बी.एस.पी. से जुड़ने व जबर्दस्त यह हितकारी फैसला लेकर काम कर रहे हैं क्योंकि वे जानतें हैं कि सर्वसमाज में मुस्लिम समाज का भी हित बी.एस.पी. में ही सुरक्षित है।