लखनऊ: ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती उर्दू, अरबी-फारसी यूनिवर्सिटी में पत्रकारिता एवं जनसंचार, गृह विज्ञान एवं शारीरिक विज्ञान विभाग द्वारा युवा सशक्तिकरण मुद्दे चुनौतियां और समाधान विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि डॉ0 ए. के. दुबे, सचिव युवा एवं खेल मंत्रालय तथा के मुख्य वक्ता भाई शैली, मुख्य अतिथि के रुप में प्रोफेसर सुमन भनोत,पूर्व डीन गृह विज्ञान फैज़ाबाद एवं विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित अतिथियों को संबोधित किया ।

अपने अध्यक्षीय भाषण में विश्वविद्यालय कुलपति प्रोफेसर खान मसूद अहमद ने कहा कि युवा अपनी ऊर्जा उत्साह और बहुमुखी प्रतिभा से देश को उच्चतम स्तर तक ले जा सकते हैं साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि हमें युवाओं को प्रोत्साहित करने और उन्हें आवश्यक रूप से कुशल व सशक्त बनाने की आवश्यकता है जिससे वह मजबूत राष्ट्र का निर्माण कर सके।

शिक्षा की अवश्यकता पर बल देते हुए कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ0 दूबे ने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य केवल एक व्यक्ति का विकास करना ना होकर पूरे समुदाय का विकास करना होना चाहिए, साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि युवाओं को आत्म-सम्मान और आत्म-विश्वास बनाए रखना चाहिए, जिससे वह हर डर और संशय पर जीत प्राप्त कर सकें। उन्होंने छात्रों को परिवर्तन का स्त्रोत बनने का आवाहन किया ।

युवाओं को संबोधित करते हुए श्री भाई शैली ने कहा कि युवा समाज के लिए महत्वपूर्ण विचारक , परिवर्तनकर्ता ,नवीन अविष्कारों के निर्माता, संचारक और मार्गदर्शक हैं I उन्होंने सरकार द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न युवा सशक्तिकरण कार्यक्रमों पर प्रकाश डाला। उन्होने कहा की यूनिसेफ इन कार्यक्रमों को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा हैI उन्होंने अपने संबोधन का अंत मलाला यूसुफ साई के प्रेरक जीवन पर आधारित एक लघु वृत्त चित्र से किया ।

युवा सशक्तिकरण के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए प्रोफेसर भनोत ने युवाओं में संस्कार के महत्व पर बल दिया। उन्होंने यह भी कहा कि युवाओं के सशक्तिकरण के लिए चरित्र निर्माण पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उन्होने युवाओं का आवाहन किया कि वह लक्ष्य को निर्धारित कर मील का पत्थर स्थापित करने की दिशा में निरंतर कार्य करते रहें।

विशेष अतिथि के रूप में सभा को संबोधित करते हुए रॉयटर्स के श्री शरद प्रधान ने सच्चाई की ताकत पर बल दिया और कहा कि युवाओं को भ्रष्टाचार अपराध और सांप्रदायिकता जैसी समस्याओं से लड़ने के लिए आगे आना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि युवाओं को सत्य और न्याय के पथ पर चलने के लिए प्रतिबद्ध रहना चाहिए।
कार्यक्रम में संगोष्ठी की स्मारिका एवं रुचिता सुजॉय चौधरी तथा तथहीर फतिमा द्वारा संपादित पुस्तक भारत में महिलाओं की सामाजिक सुरक्षा का विमोचन भी किया गया।