लखनऊ। रिहाई मंच ने अखिलेश सरकार पर अपराधी व माफिया नेताओं को संरक्षण देने का आरोप लगाते हुए कहा कि कहां तो सरकार ने बेगुनाहों को रिहा करने का वादा किया था वहीं उसने पांच साल के कार्यकाल में 19 अपराधी और माफिया नेताओं पर से ‘जनहित और न्याय हित’ में मुकदमा वापस ले लिया है। मंच ने कहा कि एक तरफ हाशिमपुरा के इंसाफ, भोपाल फर्जी मुठभेड़ का सवाल उठाने पर रिहाई मंच के नेताओं पर मुकदमा कायम किया जाता है तो वहीं दूसरी तरफ मुजफ्फरनगर के दंगाई संगीत सोम और सुरेश राणा पर से रासुका हटाई जाती है।

रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा कि अखिलेश यादव को बताना चाहिए कि हत्या, डकैती, अपहरण जैसे संगीन आरोपों में निरुद्ध नेताओं पर से मुकदमा हटाना किस तरह का जनहित और न्याय हित है। उन्होंने कहा कि सपा सरकार ने अपने पांच साल के शासन में न्याय हित और जन हित की पूरी परिभाषा ही बदल दी। एक तरफ जहां आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों को रिहा करने के वादे से सरकार मुकर गई तो वहीं जो अदालतों द्वारा बरी भी किए गए उन्हें भी दुबारा जेल भेजने के लिए अपील कर दिया। इसी तरह सोनभद्र के कनहर और कानपुर देहात के नेवली थर्मल पावर प्रोजेक्ट में अपनी जमीन के मुआवजे के लिए लड़ रहे किसानों पर मुकदमा कर दिया। अखिलेश यादव और उनसे नाराज बताए जा रहे उनके पिता मुलायम सिंह को बताना चाहिए कि लोहिया ने अपने किस भाषड़ में गुण्डा और माफिया तत्वों पर से मुकदमा हटाने और किसानों पर मुकदमा कायम करने की बात कही थी। जिसके तहत उन्होंने रघुरात प्रताप सिंह, राम शंकर कठेरिया, कलराज मिश्रा, अभय सिंह, भगवान शरण उर्फ गुड्डू पंडित, विजमा यादव, विजय मिश्रा, हरिओम यादव, मनबोध प्रसाद, कैलाश चैरसिया, विनोद कुमार उर्फ पंडित सिंह, राममूर्ति वर्मा, सुरेन्द्र सिंह पटेल, ब्रम्हा शंकर त्रिपाठी, राकेश प्रताप सिंह, मित्रसेन यादव, इरफान सोलंकी, सतीश निगम, रविदास मेहरोत्रा पर से मुकदमा हटा लिया।

मंच अध्यक्ष ने कहा कि अखिलेश यादव को बताना चाहिए कि उनका समाजवाद हाशिमपुरा जनसंहार और भोपाल फर्जी मुठभेड़ का सवाल उठाने वाले रिहाई मंच को क्यों बर्दाश्त नहीं कर पाता और उन पर पुलिसिया दमन करते हुए मुकदमा दर्ज कर लेता है। लेकिन उसे मुजफ्फरनगर के दंगाईयों संगीत सोम और सुरेश राणा पर मुकदमा बर्दाश्त नहीं होता और वो उन पर से रासुका तक हटा लेती है। मुहम्मद शुऐब ने कहा कि अखिलेश यादव का पूरा पांच साल का कार्यकाल अपने पिता मुलायम सिंह की ही लाईन पर चला। उन्होंने भी बाबरी मस्जिद को तोड़ने का षडयंत्र करने वाले आडवानी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती और साध्वी ऋतंभरा को रायबरेली कोर्ट में क्लीन चिट दिलवाया तो वहीं अखिलेश यादव ने मुसलमानों की गर्दन काटने का खुलेआम ऐलान करने वाले वरुण गांधी को क्लीन चिट दिलवाया।