RBI ने ठुकराया चुनाव आयोजक अनुरोध

नई दिल्ली : नोटबंदी के बाद नकदी निकालने की साप्ताहिक सीमा को पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में लड़ रहे उम्मीदवारों के लिए बढ़ाने के चुनाव आयोग के अनुरोध को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने खारिज कर दिया जिस पर आयोग की तीखी प्रतिक्रिया आई है।

आयोग ने बुधवार को आरबीआई से उम्मीदवारों की नकदी निकासी की साप्ताहिक सीमा 24,000 रुपये से बढ़ाकर दो लाख रुपये करने का अनुरोध किया था। आयोग का कहना था कि नोटबंदी के बाद लागू सीमा से उम्मीदवारों को अपने प्रचार का खर्च निकालने में कठिनाई होगी। लेकिन रिजर्व बैंक का कहना है कि इस स्तर पर सीमा बढ़ाना संभव नहीं है।

नाराज दिख रहे आयोग ने आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल को पत्र लिखकर इस मुद्दे से निपटने के तरीके पर गंभीर चिंता प्रकट की है।

चुनाव आयोग ने कहा, ‘ऐसा लगता है कि आरबीआई को स्थिति की गंभीरता का आभास नहीं है। यह बात दोहराई जाती है कि निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव कराना और सभी उम्मीदवारों को समान अवसर प्रदान करना आयोग का संवैधानिक अधिकार है और उचित तरीके से चुनाव कराने के लिए जरूरी है कि आयोग के दिशानिर्देशों का पालन किया जाए।’ आयोग ने रिजर्व बैंक से प्रस्ताव पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया।

आयोग ने बुधवार को आरबीआई से कहा था कि नोटबंदी के बाद लागू नकदी निकालने की सीमा की वजह से उम्मीदवारों को हो रही परेशानियों से वह वाकिफ है। आयोग ने कहा कि विधानसभा क्षेत्र के निर्वाचन अधिकारी प्रमाणपत्र जारी करेंगे कि कौन व्यक्ति चुनाव मैदान में है और उसे चुनावी खर्च के लिए विशेष रूप से खोले गये बैंक खाते से प्रति सप्ताह दो लाख रुपये निकालने की अनुमति दी जाए।
चुनाव आयोग ने कहा कि 11 मार्च को मतगणना की तारीख तक यह सुविधा दी जानी चाहिए।

आयोग ने कहा था कि 24,000 रुपये की साप्ताहिक नकदी निकासी सीमा के साथ एक उम्मीदवार चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक अधिकतम 96,000 रुपये नकदी निकाल सकेगा। आयोग ने रिजर्व बैंक से कहा कि कानून के अनुसार उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब में चुनाव लड़ रहे प्रत्याशी चुनाव प्रचार में 28-28 लाख रुपये खर्च कर सकते हैं।

गोवा और मणिपुर में यह सीमा 20-20 लाख रुपये है। चुनाव आयोग ने कहा कि चेक से भुगतान करने के बावजूद उम्मीदवारों को छोटे मोटे खर्चों के लिए नकदी चाहिए होगी। ग्रामीण इलाकों में नोटबंदी का बड़ा असर है जहां बैंकिंग सुविधाएं बहुत कम हैं।