लखनऊ: बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष, सांसद (राज्यसभा) व पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश मायावती ने चुनाव आयोग द्वारा केन्द्र सरकार को उत्तर प्रदेश समेत उन पाँच राज्यों में, जहाँ विधानसभा के आमचुनाव हो रहे हैं, के लिये बजट में कोई विशेष योजना व घोषणा आदि नहीं करने के निर्देश का स्वागत करते हुये कहा कि अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार की ख़ास ज़िम्मेदारी बनती है कि वे इस निर्देश का अनुपालन करने में कोई चालाकी नहीं दिखाये तथा उस निर्देंश का सही से ईमानदारीपूर्वक अनुपालन करके उन राज्यों के चुनाव को प्रभावित करने की कोशिश ना करे।

उच्चतम न्यायलय के साथ-साथ चुनाव आयोग द्वारा केन्द्र सरकार को आगामी एक फरवरी से बजट पेश करने को हरी झण्डी देने पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये सुश्री मायावती जी ने आज यहाँ जारी एक बयान में कहा कि वैसे तो केन्द्र की भाजपा सरकार की यह ज़िम्मेदारी बनती थी कि वह स्थापित परम्परा को ध्यान में रखकर बजट पेश करने के लिये संसद का बजट सत्र एक फरवरी से आहूत करने के बजाय उस सत्र को पाँच राज्यों में होने वाले विधानसभा आमचुनाव तक अर्थात मार्च के महीने तक टाल देती, लेकिन इस सम्बन्ध में कोई स्पष्ट कानून नहीं होने का लाभ लेते हुये संसद का बजट सत्र ठीक चुनाव के दौरान बुलाने और एक फरवरी को बजट पेश करने के फैसले पर पुनर्विचार करने को तैयार नहीं हुई, जिसका अनुरोध ज़्यादातर विपक्षी पार्टियों ने किया था और इस सम्बन्ध में माननीय राष्ट्रपति महोदय व निर्वाचन आयोग को संयुक्त ज्ञापन भी सौंपा था।

मायावती ने कहा के उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड व पंजाब सहित पाँच राज्यों के चुनाव के दौरान केन्द्रीय बजट का पेश होना एक नई परम्परा है जिससे इन राज्यों में आमचुनाव के स्वतंत्रता व निष्पक्षता प्रभावित हो सकती है, फिर भी केन्द्र सरकार एक फरवरी को ही बजट पेश करने पर अड़ी है। इस नई परिस्थिति में निर्वाचन आयोग का केन्द्र सरकार का यह निर्देश स्वागत योग्य कदम है कि बजट में इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिये कि चुनावी राज्यों से सम्बंधित सरकारी योजनाओं की उपलब्धियों का उल्लेख नहीं हो।

वास्तव में भाजपा व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार की हर प्रकार की ग़लत नीतियों व गलत कार्यकलापों एवं लोकसभा आमचुनाव में किये गये इनके वायदों के प्रति घोर वादाख़िलाफी के साथ-साथ ’’नोटबन्दी’’ की अत्यन्त जनपीड़ादाई फैसले के फलस्वरूप देश व खासकर उत्तर प्रदेश की आमजनता में व्यापक नाराजगी व जनाक्रोश पर से लोगों का ध्यान बाँटने के लिये बजट में कुछ रियायतें/घोषणायें आदि करके पाँच राज्यों में हो रहे विधानसभा आमचुनाव को प्रभावित करने की आशंका के तहत बजट को पूर्व परम्परा के अनुसार थोड़ा टालने की माँग प्रतिपक्षी पार्टियों ने की थी, परन्तु केन्द्र की सरकार ने इसे नहीं माना जिसके क्रम में ही निर्वाचन आयोग ने केन्द्र की सरकार के साथ काफी लिखा-पढी करने के बाद अन्ततः केन्द्र की भाजपा सरकार को ताजा निर्देश जारी किया है, जिसका बी.एस.पी. ने स्वागत किया है।