नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान को दो-टूक संदेश देते हुए कहा है कि यदि वह भारत से वार्ता करना चाहता है तो उसे आतंकवाद से दूर रहना होगा. भारत अकेले शांति के रास्ते पर नहीं चल सकता. पीएम मोदी ने रायसीना डायलॉग का शुभारंभ करते हुए अपने संबोधन में कहा कि दक्षिण एशिया में शांतिपूर्ण रिश्ते चाहिए. उन्‍होंने कहा कि दक्षिण एशिया में शांति और स्थिरता को बढ़ावा देने और पड़ोसियों के साथ अच्‍छे संबंध बनाने के मकसद से उन्‍होंने अपने शपथ ग्रहण समारोह में पाकिस्‍तान समेत सार्क देशों के नेताओं को निमंत्रण दिया. उन्‍होंने सख्‍त संदेश देते हुए कहा कि हमको आतंक से धर्म को पृथक करना होगा. आतंक का समर्थन और निर्यात करने वाले पड़ोसियों को नजरअंदाज करने की जरूरत है.

पीएम मोदी ने कहा कि 2014 में भारत के लोगों ने स्‍पष्‍ट रूप से बदलाव के लिए हमको जनादेश दिया. वह केवल प्रवृत्ति में नहीं बल्कि मानसिकता में बदलाव के लिए था ताकि साहसिक निर्णय लिया जा सके. उन्होंने कहा कि सुधार तब तक पर्याप्त नहीं जब तक अर्थव्यवस्था और समाज में बदलाव न हो.

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आसियान और उसके सदस्य देशों के साथ व्यापार, तकनीक, निवेश, सुरक्षा जैसे मसलों पर हमारी साझेदारी है. चीन के मुद्दे पर बोलते हुए पीएम मोदी ने कहा कि चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग और हमारे बीच इस बात पर सहमति बनी है कि द्विपक्षीय संबंधों की मजबूती के लिए व्यापक आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाना चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने जोड़ा कि भारत और चीन के विकास से इन दोनों के बीच ही केवल अपार मौके सृजित नहीं होंगे, बल्कि वैश्विक रूप से ऐसा संभव होगा.

हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा अस्वाभाविक नहीं है कि दो बड़े पड़ोसियों के बीच मतभेद नहीं हों. हम दोनों ही देशों को एक-दूसरे की मुख्य चिंताओं और हितों के प्रति संवेदनशीलता और सम्मान दिखाने की जरूरत है. मौजूदा अनुभव बताता है कि यह सदी एशिया की होगी.