नई दिल्‍ली। साइकिल चुनाव निशान सीज न हो इसके लिए सिर्फ अखिलेश यादव और मुलायम सिंह यादव के समर्थक ही दुआ नहीं कर रहे थे। पार्टी से अलग भी कुछ लोग ऐसे थे जो रात-दिन साइकिल चुनाव चिन्‍ह बचाने की दुआ मांग रहे थे। हर वक्‍त इनके मुंह से बस एक ही बात निकल रही थी कि किसी को भी मिले, लेकिन साइकिल निशान बच जाए। अगर ऐसा नहीं होता है तो करोड़ों रुपये बर्बाद हो जाएंगे। ये कोई सट्टेबाज नहीं बल्‍कि सपा कार्यालय के बाहर प्रचार सामग्री बेचने वाले चार-पांच दुकानदार हैं। यहीं से प्रदेशभर में 10 से 15 करोड़ रुपये की प्रचार सामग्री का कारोबार होता है।

वैसे तो लंबे समय से सपा में घमासान चल रहा था। लेकिन चार जनवरी से ये विवाद चरम पर पहुंच गया था। पार्टी को तो इससे जो नुकसान हो रहा था वो तो है ही, लेकिन सपा की प्रचार सामग्री बेचने वाले दुकानदारों की सांसें भी अटकी हुई थीं। तैयार प्रचार सामग्री उनकी दुकानों में भरी पड़ी है। चुनाव-चिन्‍ह साइकिल के हिसाब से प्रचार सामग्री तैयार कराई गई थी। लेकिन जब इसका मामला चुनाव आयोग में पहुंच गया तो ये आशंका सताने लगी कि कभी भी आयोग चुनाव-चिन्‍ह साइकिल को सीज कर सकता है, ये सुनकर दुकानदार बेचैन हो जाते थे।

टीवी और मेाबाइल पर पल-पल सपा और आयोग से जुड़ी खबरें पढ़ते और देखते रहते थे। ये सभी पांच दुकानें सपा के उत्‍तर प्रदेश कार्यालय के बाहर ही हैं। एक दुकानदार मोहनलाल अग्रवाल बताते हैं कि पूरे प्रदेश में सपा के चिन्‍ह वाली प्रचार सामग्री यहीं से सप्‍लाई होती है। सभी का मिलाकर करीब 10 से 15 करोड़ रुपये का कारोबार है। कुछ कारोबार जिला स्‍तर पर भी होता है। लेकिन इस वक्‍त तो हाथ पर हाथ धरे बैठे थे।
लखनऊ के ही कारोबारी अनूप जिंदल का कहना है कि पहले तो होता ये था कि चुनावों से एक महीने पहले ही सप्‍लाई शुरू हो जाती थी। लेकिन इस वक्‍त तो हाल था कि जो ऑर्डर आए थे वो भी रुक गए थे। लेकिन अब अखिलेश यादव के पक्ष में साइकिल निशान आने के बाद यह तय हो गया है कि इनका कारोबार खराब नहीं होगा।