नई दिल्ली: बैंक ऑफ बड़ौदा और बैंक ऑफ इंडिया ने सरकार के सामने माना है कि उनके स्‍टाफ ने जन-धन खातों में खुद 1 रुपए जमा किए हैं। बैकों के अनुसार ऐसा केंद्र सरकार की वित्‍तीय योजना के तहत खोले गए जीरो-बैलेंस अकाउंट्स की संख्‍या कम करने के लिए किया गया। कुछ अन्‍य बैंकों ने भी अपने संवाददाताओं के जरिए खातों में पैसे ‘भेजने’ की बात स्‍वीकार है, वहीं कुछ ने ”सुधारात्‍मक कार्रवाई”, कड़ी सतर्कता और ”सख्‍त” सलाह का भरोसा दिया है। सरकार ने द इंडियन एक्‍प्रेस की जांच रिपोर्ट (13 सितंबर, 2016) के सामने आने के बाद बैंकों से इस संबंध में सफाई मांगी थी। रिपोर्ट में बताया गया था कि कैसे बैंक अधिकारी खुद जन-धन खातों में 1 रुपया जमा कर रहे थे। वास्‍तव में, सितंबर 2014 में मौजूद 76 प्रतिशत जीरो-बैलेंस खातों की संख्‍या अगस्‍त 2015 आते-आते 46 फीसदी रह गई और 31 अगस्‍त, 2015 को सिर्फ 24.35 फीसदी खातों में कोई रकम जमा नहीं थी। आरटीआई के तहत, प्रधानमंत्री कार्यालय को 27 सितंबर, 2016 को भेजा गया एक बयान हासिल किया गया है। जिसकी प्रमुख बातें इस प्रकार हैं:

– 27 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के 23.4 करोड़ जन-धन खातों में, 13 सितंबर तक कम से कम 1.2 करोड़ खातों में सिर्फ एक रुपए का ही इकलौता लेन-देन मौजूद है। यह इन बैंकों में खोले गए कुछ जन धन खातों का करीब 5.15 प्रतिशत है।

– डीएफएस के सचिव द्वारा 27 सितंबर की नोटिंग कहती है: ”यह बताना बेहद जरूरी है कि बैंक ऑफ बड़ौदा तथा बैंक ऑफ इंडिया के कुछ मामलों में, 1 रुपए का जमा किया गया है जिसे बैंकों ने मान लिया है। इन मामलों में कार्रवाई की जरूरत है ताकि भविष्‍य में ऐसी चीजें दोहराई न जाएं।”

– डीएफस ने पीएमओ स्‍टेट्स को दिए बयान में कहा है: ”बैंक ऑफ बड़ौदा ने जानकारी दी है कि PMJDY (प्रधान मंत्री जन धन योजना) के 2 प्रतिशत खातों को P&L (लाभ-हानि) खातों से 1 रुपए मिले हैं। बैंक ऑफ इंडिया के कुछ मामले हैं जहां रकम BC (बैंकिंग संवाददाताओं) के जरिए ट्रांसफर की गई है।