लखनऊ: मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का कहना है कि उन्हें बस तीन महीने का वक्त चाहिए। वह चुनाव जीता कर आएंगे। इसके बाद नेताजी सारे पद मुझसे ले लें, मुझे ऐतराज न होगा।

सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष की हैसियत से अखिलेश यादव ने गुरुवार को अपने आवास पर विधायकों व मंत्रियों की पहली बैठक में कहा कि आप लोग क्षेत्र में जाईए और चुनाव जीत कर आईए। उन्होंने कहा कि सिंबल की लड़ाई चल रही है, अब ऐसे मामलों में अब तक की जो नजीरें रहीं हैं, उससे उम्मीद है कि उन्हीं को साइकिल मिलेगी।

अखिलेश ने कहा, मैं तो चाहता था कि सब लोग मिलकर चुनाव लड़ें, नेताजी पर हम लोगों को पूरा विश्वास है। मैंने भी पांच साल मेहनत की है। प्रदेश को आगे बढ़ाया है। जनता मुझे चाह रही है। सरकार बनेगी तो मेरा मन भी खुश होगा, क्योंकि परीक्षा तो हमारी ही है। बैठक में सीएम के अलावा मंत्री गायत्री प्रजापति व आजम खां भी थे। आप लोग बस मुझे तीन महीने दे दीजिए और अपने हिसाब से चुनाव लड़ने दीजिए, उसके बाद चुनाव जीत कर आऊंगा। उसके बाद जो पद नेताजी मांगेगे कुर्बान कर दूंगा। वह मुझसे सारे पद ले लें।

सीएम ने यह कह कर तीन महीने पर सपा की अध्यक्षी छोड़ने के भी संकेत दे दिए। कुनबे के बढ़ते झगड़े से विधायकों में उपजी तमाम आशंकाओं को सीएम ने भांप लिया। सीएम बोले कि नेताजी से सुबह ही मिलना चाहता था, पर मेरे तैयार होने से पहले ही वह दिल्ली के लिए निकल गए। जब वह दिल्ली से लौटेंगे तो हम एयरपोर्ट पर उन्हें रिसीव करने आजम खां साहब के साथ ही जाएंगे। आजम बोले, भई मैंने तो आपका काम आसान कर दिया ऊपर वाले ने भी साथ दिया।विधायकों ने पूछा कि क्या कोई सुलह की कोई राह नहीं है, तो सीएम ने पास बैठे गायत्री प्रजापति की ओर देखते हुए कहा कि अब तो यही प्रयास करें, यही नेताजी को समझाएं।

बैठक में शामिल कैबिनेट मंत्री रविदास मेहरोत्रा ने बाद में संवाददाताओं को बताया, ‘मुख्यमंत्री ने हमसे कहा कि मुलायम सिंह यादव जी मेरे पिता हैं। हमने उनसे कहा है कि तीन महीने के लिये हमें पूरे अधिकार मिल जाएं और हमारे फिर से सत्ता में आने के बाद आप :मुलायम: जो निर्णय चाहें, वह कर लीजिये।’ सरकार के एक अन्य मंत्री शंखलाल मांझी ने कहा कि नेताजी के बिना सपा अधूरी है। मुख्यमंत्री सपा का चेहरा हैं। चेहरे के बगैर सपा सरकार के बारे में सोचना बेकार है।