नई दिल्ली। बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने आज एक बार फिर नोटबंदी को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा। मायावती ने लखनऊ में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि मैं ये दुआ करती हूं कि नया साल 2016 की तरह देश की जनता के लिए नोटबंदी जैसी मुसीबत ना लाए। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार मध्यमवर्गीय ईमानदार लोगों, किसान और गरीबों के लिए अभिशाप साबित हो रही है।

बसपा सुप्रीमो ने कहा कि मोदी सरकार ने देश में कालाधन और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के नाम पर, अपने चुनावों की वादाखिलाफी से ध्यान बंटाने के लिए नोटबंदी का फैसला लिया है। इससे देशभर की 90 प्रतिशत लोगों ने परेशानी झेली है। ये आजाद भारत के इतिहास में ऐसा काला अध्याय के रूप में दर्ज हो जाएगा जिसे लोगों के लिए भुला पाना असंभव है। नोटबंदी का फैसला बहुत अपरिपक्व है और बिना तैयारी के यह फैसला लिया गया है। इस फैसले से देश के सैकड़ों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है।

मायावती ने कहा कि नए साल में भी अच्छे दिन आने के संकेत नहीं दिख रहे हैं। हमारी यही प्रार्थना है कि इस नए साल में पीएम मोदी और उनकी सरकार को कुछ सद्बुद्धि आए। केंद्र सरकार को नए साल में ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए जिससे देश की जनता को अपनी कमाई के पैसे के लिए ही लाचार ना होना पड़े और उन्हें लंबी कतारों में ना लगना पड़े। एक ऐसी व्यवस्था स्थापित की जानी चाहिए जिससे देश की जनता अपनी कमाई का पैसा निकालने के लिए परेशान ना हो।

बसपा सुप्रीमो ने कहा कि मोदी जी के 31 दिसंबर के संबोधन से ऐसा बिल्कुल नहीं लगता कि वो कुछ अच्छा देश के लिए करने वाले हैं। देश के किसान जो सोच रहे थे कि पीएम कुछ कर्जमाफी का ऐलान करेंगे, गरीब सोच रहे थे कि पीएम देश में जमा कालेधन से 15-20 लाख गरीबों के खाते में देंगे। उन सबकों निराशा ही हुई। इसके अलावा लखनऊ की रैली में पीएम मोदी ने जो भी कहा वो घुमा-फिराकर अपने लोकसभा के वादाखिलाफी से ध्यान बंटाने के लिए उनका प्रयास था। उनकी रैली में भाड़े के लोग बुलाए गए थे और भीड़ नहीं जुट पाई।

जो भी घोषणाएं इन्होंने 31 दिसंबर को की, वो सिर्फ खानापूर्ति ही हैं। अगर ये सही में जनता की भलाई के लिए होती तो ये पहले ही इन्हें लागू करते, न कि विधानसभा चुनाव से पहले। यही काम कई साल पहले तक कांग्रेस भी करती थी और जनता को गुमराह करती थी। केंद्र में बीजेपी की सरकार का आधा समय बीत चुका है लेकिन अभी तक सिर्फ शिलान्यास ही कर पाई है, इससे ज्यादा कुछ नहीं।
इनकी ऐसी शैली और खोट रखने वाली नीति से अब और ज्यादा यूपी के लोगों को गुमराह नहीं किया जा सकता। 31 दिसंबर की अपनी घोषणाओं में इन्होंने कुछ भी जानकारी नहीं दी कि क्या-क्या इन दिनों में हो पाया?

मायावती ने कहा कि सपा में आपसी घमासान को देखते हुए मुलायम सिंह यादव का यादव वोट अखिलेश और शिवपाल के खेमों में बंट गया है जो एक-दूसरे को हराने में लग गया है। अब प्रदेश के खासकर मुस्लिम समुदाय के लोगों को अपना वोट सपा के दोनो खेमों में बांटकर बिल्कुल भी खराब नहीं करना चाहिए। वरना फिर इसका सीधा लाभ बीजेपी को मिलेगा। इसलिए कल पीएम मोदी इनके पारिवारिक कलह पर कुछ भी नहीं बोले। वैसे भी पूरे प्रदेश में यादव समाज का वोट 5 से 6 प्रतिशत ही है। दलितों के वोट यूपी के सभी 403 विधानसभा सीटों पर हैं और कहीं भी कम नहीं हैं। मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में केवल मुस्लिम और दलितों का वोट मिलने से ही बसपा जीत जाएगी। इसलिए मुस्लिम समाज के लोग अपना वोट सपा के दोनों खेमों को देकर न बांटें।