लखनऊ: आज़म खान, लालू प्रसाद की कोशिशें रंग लाइ और पार्टी पर आया बड़ा संकट ख़त्म हुआ , अखिलेश यादव और रामगोपाल यादव का निलंबन रद्द हो गया । सपा के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल ने बताया कि नेता जी के आदेश पर अखिलेश और राम गोपाल का निलंबन रद्द हो गया ।
प्रेस से बात करते हुए शिवपाल आज काफ़ी मायूस लग रहे थे । उम्मीदवारों के दोबारा चयन पर शिवपाल बोले कि फिर से मिल बैठकर बात होगी।

शुक्रवार को पूरे दिन चले इस सियासी तूफान के बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आज विधायकों की बैठक बुलाई थी.करीब 200 से अधिक विधायक और 30 से ज्यादा एमएलसी और नेता अखिलेश से मिलने पहुंचे थे. उधर, दूसरी ओर सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने सपा मुख्यालय पर बैठक बुलाई थी जिसमें करीब 20 विधायक और 7 उम्मीदवार पहुंचे थे. कह सकते हैं कि मुलायम से मिलने गिने-चुने लोग पहुंचे. दरअसल, इसके पीछे वजह साफ है कि पार्टी के लोग मुलायम सिंह यादव का सम्मान करते हैं, लेकिन उन्हें अपना भविष्य अखिलेश यादव ने दिखाई दे रहा है. जानकारी मिली है कि अखिलेश यादव बैठक में भावुक हो गए. उन्होंने कहा- हमें 2017 का चुनाव जीतकर नेताजी को तोहफे के तौर पर देना है. दरअसल अखिलेश बहुत संभलकर बात कर रहे हैं. वह इस माहौल में ऐसी कोई बात नहीं कहना चाहते जिससे यह लगे कि बेटे ने पिता से बगावत की है.

अखिलेश यादव और रामगोपाल यादव को पार्टी से निकाले जाने के बाद सपा के दो खेमे में होने पर राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने शनिवार को पार्टी सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव से फोन पर बात की। उन्होंने कहा कि सांप्रदायिक ताकतों से लड़ने के लिए सपा को एकजुट रहने की जरूरत है। अखिलेश और रामगोपाल के निष्कासन से पहले भी जब सपा में कलह पैदा हुई थी तब लालू यादव ने कहा था कि मुलायम सिंह यादव सूझबूझ वाले नेता हैं। वे अपनी दूरदर्शिता से सभी विवाद को सुलझा लेंगे। यह पूरा ही घरेलू मामला है। वह इस कुछ नहीं बोलेंगे और न ही किसी का पक्ष लेंगे। बता दें कि लालू प्रसाद यादव और मुलायम सिंह यादव समधी हैं।