लखनऊ: बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने मोदी सरकार पर सस्ती लोकप्रियता के लिये सस्ती मानसिकता से काम करने का आरोप लगाते हुये कहा कि ’’भारत इण्टरफेस फार मनी’’ मोबाइल एप को ’’भीम’’ का उपनाम देकर इसे परमपूज्य बाबा साहेब डा. अम्बेडकर के नाम से जोड़कर ’मुँह में राम, बग़ल में छुरी’ की कहावत को ही चरितार्थ करने का काम किया है। ऐसी सस्ती मानसिकता से काम करने की प्रवृति अशोभनीय व निन्दनीय भी है।

कल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा मोबाइल एप ’’भारत इण्टरफेस फार मनी’’ के नाम से लाँच किया गया और उसको ’’भीम’’ का उपनाम दे दिया ताकि दलित समाज के लोगों को इसके नाम पर वरग़लाया जा सके।
वास्तव में यह ना केवल केन्द्र सरकार की सस्ती मानसिकता को उजागर करता है बल्कि इस प्रकार का प्रयास उसी प्रकार का छलावा व लोगों की आँखों में धूल झांकने जैसा है, जैसा कि सन् 2014 के लोकसभा आमचुनाव के दौरान ’’हर-हर मोदी, घर-घर मोदी’’ के नारे को दुरूपयोग करके छलावा करने का प्रयास किया गया है।

इसी प्रकार परमपूज्य बाबा साहेब डा. अम्बेडकर के नाम का अनुचित व कुतर्कपूर्ण इस्तेमाल करने का प्रयास राजनीतिक व चुनावी स्वार्थ के लिये ही किया जा रहा है, लेकिन इससे भाजपा के दामन पर लगा हुआ वर्षों पुराना दलित व ग़रीब-विरोधी होने के साथ-साथ अब श्री रोहित वेमुला आत्महत्या काण्ड व गुजरात के बर्बर दलित उत्पीड़न काण्ड एवं वीभत्स दयाशंकर सिंह आदि काण्ड का काला धब्बा भाजपा व श्री मोदी की सरकार पर से मिटने वाला नहीं है।

मायावती ने आज जारी अपने बयान में कहा कि ’’मान न मान, मैं तेरा मेहमान’’ जैसा व्यवहार करके प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने जबर्दस्ती ’योजना आयोग’ समाप्त करके जिस प्रकार से अंग्रेजी नाम को संक्षिप्त ’’नीति’’ नाम देकर अपनी पीठ अपने आप ही थपथपाने की कोशिश की है, ठीक उसी प्रकार मोबाइल ऐप के अंग्रेजी नाम का संक्षिप्त हिन्दी नाम को ’भीम’ की संज्ञा देकर बाबा साहेब डा. अम्बेडकर के नाम से जोड़कर दलितों के वोटों के स्वार्थ में इस प्रकार का राजनीतिक हथकण्डा अपनाने का प्रयास किया है, परन्तु देश के दलित वर्ग के लोग अब इस प्रकार के बहकावे में कतई भी आने वाले नहीं हैं।