मोटे तौर पर बाजार ने 2016 में कैसा प्रदर्शन किया- की फैक्टर्स- उत्पादक संसदीय कार्यवाही. इसमें कई विधेयक (दिवालियापन, रियल एस्टेट, जीएसटी, आदि) पास हुए. इसने इक्विटी आदि को पुश किया. कुछ निराशाएं भी रही, यदि कोई, (कम आय, हो सकता है).

संपत रेड्डी, सीआईओ, बजाज आलियांज लाइफ इंश्योरेंस के अनुसार 2016 एक अत्यधिक घटनापूर्ण वर्ष रहा. हमने घरेलू मुद्दों के अलावा, वैश्विक मोर्चे पर ब्रेक्सिट जैसा इवेंट, लंबित यूएस फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में बढ़ोतरी, निर्यात उन्मुख अर्थव्यवस्थाओं में करेंसी वार और अमेरिकी राष्ट्रपति पद के चुनाव परिणाम को देखा. इन सभी मुद्दों के साथ समग्र बाहरी वातावरण खराब वैश्विक वृद्धि के साथ चुनौतीपूर्ण रहा. हालांकि, घरेलू मोर्चे पर अच्छा मानसून, जीएसटी के पारित होने और अन्य प्रमुख सुधारों, बेहतर उपभोक्ता भावना ने अर्थव्यवस्था और पूंजी बाजार में सकारात्मक गति को जन्म दिया. हालांकि, अनपेक्षित नोटबंदी से अर्थव्यवस्था में अस्थायी मंदी का नेतृत्व किया. हमें उम्मीद है कि अर्थव्यवस्था पर नोटबंदी से उत्पन मंदी का प्रभाव लम्बा नहीं होगा. इन सभी घटनाओं के बावजूद बाजार बहुत लचीला रहा. निफ्टी ने वर्ष की शुरूआत 7963 के स्तर से की और अभी 3.5 फीसदी बढ कर 8246 के आसपास है. फरवरी में यह सबसे कम 6970 रहा और अगस्त में 8952 के उच्चतम स्तर पर रहा.

धीमी घरेलू विकास रिकवरी और कम वैश्विक विकास से क्यू 3सीवाई 16 में कमाई कम रही. विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक इक्विटी बाजार में करीब 24000 करोड रूपये लाए.

-सेक्टर जिसने अच्छा किया और अच्छा नहीं किया और 2017 में जिनसे उमीद है-

धातु, ऊर्जा (तेल और गैस विपणन कंपनियां) ऑटो सेक्टर ने इस साल निफ्टी में गति दी जबकि आईटी ने कमजोर प्रदर्शन किया. नोटबंदी और अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के जरिए पोर्टफोलियो को पुनर्संतुलित करने का यह अच्छा समय है.

हमने मेटल सेक्टर और आईटी, हेल्थकेयर सेक्टर को कमजोर रुपये की उम्मीदों के बीच भी पसंद करना जारी रखा. अमेरिका में राजकोषीय सहजता से कमोडिटी की कीमतों को आगे तक जाने में आसानी होगी. यह मेटल सेक्टर के लिए अच्छा हो सकता है. हम निजी बैंकों (विशेष रूप से छोटे निजी बैंकों) को पसंद करते है और निजी बैंकों के लिए परिसंपत्ति गुणवत्ता स्वस्थ रहना जारी है. इसके अलावा, सीमेंट सेक्टर, सरकारों की सभी के लिए आवास योजना के बीच अच्छा कर सकता है.

. 2017 में आगे प्रमुख घटनाएं- कैसे नोटबंदी का असर होगा और इसका जीडीपी पर क्या असर होगा और इस त्रह यह कैसे कमाई पर असर डालेगाअ. साथ ही उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों के चुनाव और जीएसटी आदि असर करेगा.

निकट भविष्य में देखने वाला महत्वपूर्ण कारक होगा कि कैसे नोटबंदी वास्तविक आय वृद्धि और मार्गदर्शन पर प्रभाव डालेगा. नोटबंदी अभी भी जारी है, हम उम्मीद करते हैं कि इसका प्रभाव कुछ महीनों तक ही सीमित होगा और यह क्यू 1 सीवाई 17 से आगे नहीं जाएगा. यूपी चुनाव से पहले बाजार कोई सरकारी सुधार या उपाय देखना चाहेगा. इसके अलावा, जीएसटी कार्यान्वयन में देरी से दिक्कत हो सकती है. बाजार अमेरिकी राष्ट्रपति की नीतियों और वैश्विक कारकों पर विचार करेगा. यह अमेरिकी फेडरल रिजर्व में बढ़ोतरी की गति, 2018 की जर्मनी और फ्रांस चुनाव को भी देख रहा है.

  • बजट 2017

वित्तीय वर्ष 2018 के लिए आने वाला बजट 1 फरवरी 2017 को आएगा. पहले यह फरवरी के अंत में आता था. यह उम्मीद है कि नोटबंदी और आय प्रकटीकरण योजना के कारण सरकार का कर राजस्व बढेगा. ऐसे में यह देखना होगा कि सरकार राजकोषीय विवेक के लिए इस अतिरिक्त राजस्व का उपयोग करती है या अपने राजस्व व्यय को बढाती है. उम्मीद है कि सरकार कुछ प्रत्यक्ष कर प्रोत्सहान, जैसे व्यक्तिगत मामले के साथ ही कॉर्पोरेट टैक्स में, की घोषणा हो सकती है. हम उम्मीद करते है कि सरकार अगले वर्ष के सकल घरेलू उत्पाद के 3 फीसदी राजकोषीयघाटे के एफआरबीएम लक्ष्य को हासिल करेगी.

  • तेजी से बढ़ते बैंक में जमा राशि के मद्देनजर ब्याज दरों को कम करने में और बाजार धारणा सुखदायक बनाने में भारतीय रिजर्व बैंक की भूमिका

भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार, 6 दिस्संबर 2016 तक बैंकिंग प्रणाली में 11.55 ट्रिलियन रूपये जमा हो चुके है. भारतीय रिजर्व बैंक ने कई उपायों (अतिरिक्त तरलता को सोखते हुए) के जरिए मिब्रो रेट को रेपो दर के करीब रखा है. भारतीय रिजर्व बैंक बाजार स्थिरीकरण योजना (एमएसएस) यानी 1.6 ट्रिलियन रुपये की नकदी प्रबंधन बिल के निर्गमों का आयोजन किया है. इसके अलावा, भारतीय रिजर्व बैंक ने टर्म रिवर्स रेपो के जरिए तरलता कम किया है और सी आर आर में अस्थायी वृद्धि की है (सितंबर 26 से 11 नवबर 2016 के बीच 100 फीसदी जमा प्राप्त).