लखनऊ: राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष राम आसरे विश्वकर्मा की अध्यक्षता में आज यहां हुई एक बैठक में पिछड़े वर्गों के हितों की रक्षा के लिए अनुसूचित जाति, जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम की भांति पिछड़ा वर्ग अत्याचार निवारण अधिनियम बनाने तथा उनकी आर्थिक मदद करने हेतु शासन को संस्तुति भेजने के सम्बन्ध में निर्णय लिया गया। साथ ही पिछड़ा वर्ग की 17 जातियों-केवट, बिन्द, निषाद,मल्लाह, राजभर, कुम्हार तथा अन्य को राज्य सरकार द्वारा विकास की योजनाओं में 7.5 प्रतिशत भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए जारी शासनादेश के संबंध में जनपदों से प्रगति रिपोर्ट मंगाने हेतु जिलाधिकारियों को पत्र लिखने तथा अब तक की गयी कार्यवाही की रिपोर्ट मंगाने का निर्णय लिया गया।

आयोग द्वारा की जा रही बैठकों एवं उनकी सुनवाई की कार्यवाही का पालन कराने हेतु तथा कृतकार्यवाही की रिपोर्ट आयोग के कार्यालय में भेजने हेतु सभी जिलाधिकारियों को पत्र भेजने का निर्णय लिया गया। इसके अलावा राज्याधीन लोक सेवाओं और पदों में आरक्षण की गणना के सम्बन्ध में पिछड़े वर्गों हेतु लागू आरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत पदों की गणना में रोस्टर के अनुसार किये जाने के सम्बन्ध में शासन को पत्र लिखने का निर्णय लिया गया।

बैठक में मैथिल शब्द को बढ़ई के साथ अंकित किये जाने तथा चन्द्रवंशी को कहार कश्यप के साथ अंकित किये जाने के प्रस्ताव पर आयोग द्वारा प्रारम्भिक सुनवाई करने का निर्णय लिया गया है। आयोग द्वारा सलमानी जाति को पिछड़े वर्ग में अंकित सूची के क्रमांक से अलग क्रमांक पर रखे जाने के प्रस्ताव को निरस्त कर दिया गया।