लखनऊ: मुख्यमंत्री अखिलेश यादव बुधवार को अपने पूरे रंग में नजर आए और भाजपा व बसपा पर जम कर हमला बोला। अपने सरकारी आवास पर नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना एक्सप्रेस-वे, औद्योगिक विकास प्राधिकरण एवं नोएडा मेट्रो रेल कार्पोरेशन की महत्वपूर्ण 20 परियोजनाओं का लोकार्पण व शिलान्यास के अवसर पर उन्होंने कहा, भाजपा के लोग समय-समय पर सर्जिकल स्ट्राइक बदलते हैं। चुनाव के समय पता नहीं कौन सा सर्जिकल स्ट्राइक कर दें। बसपा के लिए तो यहां तक कहा कि वह भाजपा से मिलकर शून्य हो चुकी है।

भाजपा पर हमला करते हुए अखिलेश ने कहा कि गांवों में जब कोई लड़का अधिक चालाकी करता है, तो कहा जाता है कि ज्यादा स्मार्ट मत बनो। भाजपा ने ऐसी ही स्मार्टगिरी की है कि आज सभी लाइन में खड़े नजर आ रहे हैं। चुनाव में लाइन इसी तरह रही तो वोट किसे मिलेगा? सभी जानते हैं। ढाई साल का हिसाब-किताब केंद्र सरकार को देना होगा। कैशलेस की बात करने वालों को यह भी बताना होगा कि गांवों को कितना इंटरनेट से जोड़ा। समाजवादी स्मार्ट चीजों से दूर रहते हैं और विकास पर ध्यान देते हैं। इसीलिए भाग्य और काम दोनों मौजूदा समय उनके साथ है।

अखिलेश ने बसपा को शून्य बता कर यह साफ कर दिया कि सपा की लड़ाई भाजपा से है। कहा, लोकसभा चुनाव में भाजपा को सारा वोट ट्रांसफर करा कर वह शून्य हो गई है। एक समय यही काम भाजपा ने बसपा के पक्ष में किया था। समाजवादी पार्टी की गिनती देश में होती है, क्योंकि राज्यसभा में सदस्य संख्या कम नहीं है। वह किसी सरकार से अपनी तुलना नहीं करते और न ही किसी को पैकेज देते हैं, जो पैकेज देते हैं वह घाटे में चले जाते हैं। समाजवादी सरकार ने किसी पर अन्याय नहीं किया, बल्कि किसानों के मुकदमे वापस लिये।

गठबंधन के सवाल पर कहा कि सपा बहुमत की सरकार बनाने जा रही है। अगर गठबंधन होगा तो 300 से अधिक सीटें मिलेंगी। हालांकि, गठबंधन पर अंतिम फैसला नेता जी करेंगे। यह जरूर स्वीकार किया कि कांग्रेस से बातचीत हुई है। यह सभी जानते हैं कि गठबंधन होगा तो सबसे अधिक किसे फायदा होगा। बसपा वाले भाजपा से मिले हुए हैं। बसपा की भाईचारा कमेटी वाले भाजपा में चले गए। बीबीसी (बुआ ब्राडकास्टिंग कंपनी) के माध्यम से खबर चली है कि सारी योजनाएं उनकी हैं। सभी जानते हैं कि समाजवादियों ने काम किए हैं। उनकी योजनाएं सिर्फ सपने और कागजों पर ही चलीं।

टिकट बंटवारे के सवाल पर कहा कि चुनाव से पहले बहुत टिकट बदल जाते हैं, क्योंकि कोई टिकट स्थाई नहीं होता है। चुटकी लेते हुए कहा कि एक विधानसभा का टिकट कितनी बार कटा, फिर आगे जोड़ा, कल टिकट बंटा या नहीं? उनका इशारा कैबिनेट मंत्री अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद की तरफ था। एक दिन पहले टिकट काटने के बाद फिर लौटा दिया गया। कहा, टिकट वितरण में वह अपना सुझाव केवल राष्ट्रीय अध्यक्ष को देंगे।