श्रेणियाँ: उत्तर प्रदेश

विधायकों को सता रहा है टिकट कटने का डर

सपा की चौखट पर पहुंचे विधायक, कर रहे टिकट की दरकार

आसिफ मिर्जा

सुलतानपुर। सपा में चल रही अंदरूनी घमासान से जिले के विधायक सहमें है। डर सता रहा है कि इस बार टिकट पर कही तलवार न चल जाए। मैदान में आने से पहले अपनी मजबूत पकड़ के लिए कई माननीय दिल्ली की भी परिक्रमा कर चुके है। जमीनी हकीकत से दूर रहने वाले भी अपने-अपने मुखिया का करीबी बताकर टिकट पक्का होने का दावा करने से नही चूक रहे है। हालाकि जिले में किसी भी प्रत्याशी की घोषणा सत्तारूढ पार्टी ने नही किया है।

बीते विधानसभा चुनाव में सपा को हर सीटों पर शानदार जीत मिली थी। विधानसभा पहुंचने के बाद कई माननीयों ने जनता से दूरी बना ली थी तो कुछ ने जनता के बीच अपना समय गुजारा। जनता की आंख का तारा बनने वाले माननीयों के लिए टिकट पाने की राह आसान दिख रही है। इन सब से इतर सपा में चल रही आपसी रार कुछ विधायकों को खटक रहा है कि कही इस बार उनका टिकट न कट जाए। इसी वजह से कई माननीय दिल्ली का चक्कर लगा चुके है। सपा ही ऐसी पार्टी है जिसमें अभी किसी उम्मीदवार की घोषणा नही की गयी है। बावजूद इसके कई नौसिखिया खददरधारी खुद ही अपने को प्रत्याशी बताकर चुनाव प्रचार में जुटे है। इसकी जानकारी न तो सपा सुप्रीमो और न ही जिले के अध्यक्ष को है। जनता की नजर में मजबूत माने जाने वाले कई खददरधारी इसी हफ्ते सपा सुप्रीमो से मिलने दिल्ली पहुचेंगे। सूत्रो का कहना है कि एक दर्जा प्राप्त मंत्री और लोकसभा का चुनाव लड़ चुके स्थानीय नेता की लोकप्रियता से कई माननीय परेशान है। उन्हे डर सता रहा है कि इनकी सक्रियता से कही उनका प्लान न चैपट हो जाए। ज्यादातर नेता क्षेत्र मे जनता की समस्या के बजाय अपने राजनैतिक आका को खुश करने में जुटे हुए है। मिशन 2012 के चुनाव में अबरार अहमद, शकील अहमद, अनिल पांडेय, सुरभि शुक्ला, इंदु प्रकाश मिश्रा, सन्तोष पांडेय का टिकट सपा ने काट दिया गया था। हालाकि बाद में सन्तोष पांडेय टिकट पाए और चुनाव लड़े। वही सुलतानपुर-इसौली विधानसभा के प्रत्याशियों में बदलाव हुआ। सुलतानपुर से अबरार इसौली के प्रत्याशी बने। विधायक अनूप संडा सुलतानपुर से टिकट पाने में सफलता हासिल की लेकिन बलि का बकरा पार्टी ने शकील अहमद को बनाया। शकील न इधर के हुए न उधर के। यही डर अब जिले के माननीयों को सता रहा है। कही पूर्व के तरीके से इस बार भी प्रत्याशी का बदलाव पार्टी न कर दे। विधायको का डर भी जायज है। पार्टी में मचे घमासान से जिला स्तर पर भी दो फाड़ हो गया है। सीएम अखिलेश और प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल को लेकर विधायक बीच में खड़े है। टिकट तो प्रदेश अध्यक्ष के खेमे से ही मिलना तय है। अगर दोनो नेताओं के बीच बात न बनी तो कईयों के टिकट कटने की प्रबल सम्भावना है। इसलिए विधायक समेत अन्य टिकट के दावेदार दिल्ली का रूख किये है। जहां पर बड़ा दरबार लगता है। दरबार में जोरदार तरीके से हाजिरी लगाने में कोई चूक नही कर रहे है। हर तरीके का बाण चलाकर टिकट पक्का करने की कवायद में लगे है। बहरहाल देखना यह है कि इस चुनावी दंगल में किसका सितारा बुलंद रहता है।

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