लखनऊः उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने आज कैंसर एड सोसायटी द्वारा राय उमानाथ बली प्रेक्षागृह में आयोजित ‘रोल आॅफ स्प्रीचयुलिटी इन पेलेटिव केयर’ विषयक संगोष्ठी में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि शरीर और मन के समन्वय से रोगी को स्वास्थ्य लाभ होता है। रोगी के मन की स्थिति का विचार करते हुये उसके मन और मस्तिष्क को स्वस्थ रखना जरूरी है। चिकित्सक के व्यवहार के साथ-साथ आध्यात्म की भूमिका महत्वपूर्ण है। मन को स्थिर करना एक कला है, जिससे रोगी को लाभ होता है। आध्यात्म और कैंसर के संबंध का समन्वय करके कैंसर रोगी के मन में आशा जगाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि रोग के दौरान धर्म, धार्मिक पुस्तकें, आध्यात्म और लोगों की शुभेच्छायें रोगी के लिए टाॅनिक का काम करती हैं।

राज्यपाल ने कहा कि आबादी के लिहाज से केवल पांच देश इण्डोनेशिया, चीन, ब्राजील, आस्ट्रेलिया ही उत्तर प्रदेश से बडे़ हैं। बड़ी आबादी एवं दिनों दिन बढ़ रहे कैंसर के प्रकोप को देखते हुये उत्तर प्रदेश में केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकार द्वारा कैंसर के नये संस्थान खोले जा रहे हैं। यह संस्थान जल्दी तैयार होकर क्रियाशील हो जाये, इस चुनौती को स्वीेकार करने की जरूरत है। उत्तर प्रदेश में ही कैंसर के सम्पूर्ण इलाज की व्यवस्था हो तो रोगी दूसरे प्रदेशों में जाकर अनावश्यक खर्च और परेशानी से बच सकते हैं। कैंसर रोगियों के सहायतार्थ काम करने वाली गैर सरकारी संस्थाएं इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। उन्होंने कहा कि प्रमाणिकता से काम करने वाली स्वयं सेवी संस्थाओं को सम्मानित करके उनका मनोबल भी बढ़ाना चाहिए।

श्री नाईक ने बताया कि 1994 में जब वे साठ वर्ष के थे तो उन्हें कैंसर हो गया था। चिकित्सकों के परीक्षण के बाद पता चला कि वह दूसरी स्टेज का है, मगर उचित देखभाल और परिवार एवं शुभचिंतकों के संबल से मिली दृढ़ इच्छाशक्ति के कारण वे कैंसर रोग पर विजय प्राप्त कर सके। रोगी और परिजनों की मजबूत इच्छाशक्ति से रोग को जीता जा सकता है। कैंसर इलाज के शोध में बहुत प्रगति हुयी है। जागरूकता से कैंसर से बचा जा सकता है। रोगी को आधुनिकतम इलाज का लाभ कर्म खर्ज में मिले। रोगी की मनःस्थिति को सुधारने में चिकित्सक का व्यवहार अहम होता है। चिकित्सक की मुस्कराहट रोगी में इच्छाशक्ति जगाती है। उन्होंने कहा कि लोगों की शुभकामनाओं से भी रोगी को बहुत संबल मिलता है।

राज्यपाल ने इस अवसर पर कैंसर के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले व्यक्तियों को तथा रोगियों को सहयोग देने वाली कई संस्थाओं को स्मृति चिन्ह व प्रशिस्त पत्र देकर सम्मानित किया तथा कैंसर एड सोसाइटी की स्मारिका का विमोचन भी किया। उन्होंने अपनी पुस्तक चरैवेति! चरैवेति!! में ‘कैंसर के शिकंजे में’ को उद्धृत किया तथा आयोजको और विशिष्ट अतिथियों को पुस्तक भी भेंट की।