लखनऊ: 'कभी रोती कभी हंसती कभी लगती शराबी सी। मोहब्बत जिसमें होती है वो आंखे और ही होती हैं।' संत मोरारी बापू ने अपने निराले अंदाज में एक शायरी की इन पंक्तियों को सुनाते हुए भक्ति योग के अर्थ को स्पष्ट किया। उन्होंने बताया कि किसी के दुख में जो आंसू निकलें वो भी भक्ति है। सेवा अस्पताल के प्रांगण में रामकथा के सातवें दिन मोरारी बापू ने बताया कि भगवान श्री राम ने जब लक्ष्मण को भक्ति का अर्थ समझाते हुए कहा कि जिसमें कोई कामना न हो, कोई दंभ न हो, मद न हो। हे लक्ष्मण ऐसे भक्त के मैं वश में हो जाता हूं। रावण और सूर्पणखा के दुष्ट हृदय की कथाओं को भी उन्होंने विस्तार से सुनाया। उन्होंने कबीर के दोहों को सुनाते हुए बताया कि जिसको ज्ञान मिल गया उसके जीवन में विक्षेप आता ही है। उन्होंने कहा कि आसक्ति स्थान बदलती है। कभी पैसों में, कभी प्रतिष्ठा में , कभी अन्य स्थानों पर। इसके बाद उन्होंने सत्य के तीन प्रकारों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि पहला स्थूल सत्य मलतब वाणी का सत्य। दूसरा सूक्ष्म सत्य मतलब जैसा आचरण वैसी ही वाणी। तीसरा सूक्षमतम सत्य मतलब जैसा विचार वैसे ही आचार।