शूटरों की शिनाख्त के लिए जिला जेल के चक्कर काट रहे नगर कोतवाल

अधिवक्ता आंदोलित, खाली हाथ पुलिस, बिगड़ सकता है मामला

सुलतानपुर। अधिवक्ता विजय प्रताप हत्याकांड को लेकर अधिवक्ताओं की हड़ताल जारी है। महीने भर का समय बीत जाने के बाद भी पुलिस खाली हाथ है। बताया जा रहा है कि शूटरों की शिनाख्त के लिए नगर कोतवाल इन दिनों जिला कारागार का चक्कर लगा रहे है। कयास लगाया जा रहा है कि जल्द ही हत्याकांड का खुलासा न हुआ तो मामला गम्भीर हो सकता है।

28 अक्टूबर को कोतवाली नगर के रामनगर निवासी अधिवक्ता विजय प्रताप सिंह की दीवानी न्यायालय आते समय हत्या कर दी गयी थी। हत्याकांड के बाद पुलिस पर गम्भीर आरोप लगाते हुए अधिवक्ता आंदोलन करने में जुटे है। नामजद मुकदमा तो दर्ज हो गया है, लेकिन शूटरों की निशानदेही पुलिस अभी तक नही कर सकी है। अधिवक्ताओं का आरोप है कि नगर कोतवाली पुलिस जानबूझ कर घटना का खुलासा नही कर रही है। पुलिस ने खुलासे के लिए अदालत में आवेदन किया है कि अभियुक्त जीतेन्द्र प्रताप व राजा बाबू को रिमांड पर दिया जाय। 1 दिसम्बर को दोनो अभियुक्तों से पुलिस पूछताछ करेगी। महीने भर बीत जाने के बाद भी पुलिस के हाथ शूटर नही लगने से अधिवक्ताओं का पारा सातवे आसमान पर पहुंच चुका है। सूत्रों का कहना है कि पुलिस आरोपियों से याराना निभा रही है। ऐसा न होता तो इस हत्याकांड का खुलासा कब हो जाता। सूत्रों का यह भी कहना है कि नगर कोतवाल शूटरों का पता लगाने के लिए जिला कारागार का चक्कर काट रहे है। रविवार को नगर कोतवाल जीतेन्द्र प्रताप से मिलने जिला जेल भी गये थे। नतीजा सिफर ही रहा। सूत्रों का यहां तक भी कहना है कि कोतवाली पुलिस जिला जेल से शर्मसार होकर लौटी। बहरहाल अधिवक्ताओं का कहना है कि जल्द खुलासा न हुआ तो वह आंदोलन और तेज करेंगे। आंदोलन की वजह से दीवानी और कचेहरी का काम भी पूरी ठप पड़ गया है। समय रहते खुलासा न हुआ तो स्थिति और बिगड़ सकती है।

पुलिस अधीक्षक पवन कुमार सख्त अधिकारी माने जाते है। उनके मातहत छवि बिगाड़ने में कोई कोर कसर नही छोड़ रहे है। सूत्रों का कहना है कि कुछ थानों पर यदि अधिकारी फरियादी बनकर पहुंच जाए तो सारा काला चिटठा खुल जाऐगा। यह भी खुल जाऐगा कि नगर कोतवाली पुलिस अपने आला हाकिमों को कितना गुमराह कर रही है।