खैराबाद में निकला पचासे का जुलूस

सुल्तानपुर। हुसैन का फर्श जोड़ने का काम करता है, तोड़ने का नहीं। दुनिया के अंदर हुसैन की यूनिवर्सिटी एक ऐसी दरसगाह है जहां किसी धर्म, मज़हब और मिल्लत की कैद नहीं है। यहाँ हर एक आ सकता है, बैठ सकता है। ये बातें जुलूसे पचासा की मजलिस को खेताब करते हुए मौलाना तहज़ीब हसन साहब राच्वी ने कहीं।

इमामबारगाह बेगम हुसैन अकबर में मजलिस को खेताब करते हुए मौलाना ने कहा आज मुसलमान आतंकवाद के नाम पर छला जा रहा है जबकि सबसे पहला आतंकी हमला तो पैग़म्बर मोहम्मद के ऊपर 28 सफर 11 हिजरी को हुआ और उन्हें ज़हर देकर शहीद किया गया।

इसी तरह 28 सफर 50 हिजरी को पैग़म्बर के बड़े नवासे इमाम हसन को खुद उनकी जौजा (पत्नी) जादा बिंते अशश ने ज़हर देकर मारा। ये आतंकी हमला ही था। जो अब नए (आधुनिक) असलहों से अंजाम पा रहा है।
जुलूस में मुनव्वर सुल्तानपुरी और ज़मीर सैद्पूरी ने पेशखानी तो नेज़ामत ज़ीशान आज़मी ने किया।
जुलूस में अंजुमन गुंचए मज़लूमिया शहर, अंजुमन रिज़विया हसनपुर, अंजुमन अब्बासिया सुरौली, अंजुमन ज़िनतुल अज़ा आलमपुर बाराबंकी, अंजुमन बज़्मे अब्बासिया मोती मस्जिद फैजाबाद, अंजुमन मोऐनुल अज़ा भादी शाह्गंज, अंजुमन अब्बासिया निमोली फैजाबाद ने नौहाखानी और सीनाज़नी पेश किया।
ये जानकारी अंजुमन तहफ्फुजे अज़ा के सदर हाजी सैयद शमीम हैदर रिज़वी कर्बालाई ने देते हुए सभी का शुक्रिया अदा किया है।