वक्त की ज़रूरतों को समझें और लाखों की संख्या में शरीक हों : मौलाना उसामा क़ासमी

कानपुर :- भारत में अल्पसंख्यकों के अधिकारों का हनन किया जा रहा है, उन्हें अत्याचार का निशाना बनाया जा रहा है, उनके विकास के रास्ते बंद किए जा रहे हैं, समान नागरिक संहिता के नाम पर उन्हें अपने धर्म व संस्कृति की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश की जा रही है, देश विरोधी शक्तियां नफरत व भेदभाव के माध्यम से देश को बरबादी की तरफ ले जा रही हैं, इन्हीं से निपटने के लिये जमीयत उलमा हिन्द के महासचिव मौलाना सैयद महमूद मदनी की आवाज पर जमीयत उलमा हिन्द और कंफेडरेशन ऑफ दलित एवं आदिवासी (नकडोर) रामलीला मैदान दिल्ली में 27 नवंबर दिन इतवार सुबह 10 बजे महासंग्राम रैली आयोजित कर रही है जिसमें दलित-मुस्लिम एकता की शक्ति देखेंगे और सभी वर्ग से संबंध रखने वाले अधिकारों के हनन के खिलाफ आवाज बुलंद करेंगे। मौलाना सैयद महमूद मदनी की अपील पर लाखों की संख्या में महासंग्राम रैली में भाग लें। उक्त विचार जमीयत उलमा उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष मौलाना मुहम्मद मतीनुल हक़ उसामा क़ासमी ने अपने प्रेस बयान में किया।

मौलाना उसामा क़ासमी ने कहा कि दलित-मुस्लिम एकता समय का ज़रूरत है सभी अल्पसंख्यकों को लगभग एक-जैसी समस्या हो रही है, आजादी की आधी सदी से अधिक बीत जाने के बावजूद अल्पसंख्यकों के अधिकारों की अनदेखी की जा रही है और उनके शोषण में साम्प्रदायिक शक्तियां हमेशा आगें रहती हैं। मौलाना क़ासमी ने कहा कि अजमेर शरीफ में जमीयत उलमा हिन्द के ऐतिहासिक जलसे के बाद मौलाना सैयद महमूद मदनी ने क्रांतिकारी निर्णय लेते हुए 27 नवंबर को दिल्ली के रामलीला मैदान में दलित-मुस्लिम एकता पर महासंग्राम रैली कर रहे हैं जिसमें इतिहास में पहली बार हजारों दलित और मुसलमान एक-मंच पर नजर आएंगे। रैली में एस सी, एस टी के विकास के लिए आरक्षण, सफाई के काम में ठेकेदारी पर रोक और सफाई कर्मचारियों को स्थायी सरकारी नौकरी, केंद्रीय और निजी क्षेत्रों में आरक्षण .एस सी, एस टी, ओ बी सी और जमीन से वंचित गरीबों को पांच एकड़ जमीन। एस सी, एस टी और ओ बी सी छात्रों को जाति और धर्म के आधार पर प्रवेश न करने पर रोक लगाने। महिलाओं के अपहरण, बलात्कार और प्रताड़ना के खिलाफ सख्त कानून। सभी समुदायों सहित मुसलमानों को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में उचित प्रतिनिधित्व। एस सी, एस टी पर होने वाले अत्याचारों पर सख्त कार्रवाई। सबके लिये समान शैक्षिक संसाधनों की आपूर्ति। अदालतों में सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व। दलित और मुसलमानों पर गाय की रक्षा के नाम पर हमले रोके जायें। सभी धर्मों के मानने वालों को अपने धर्म व संस्कृति पर चलने की पूरी स्वतंत्रता और समान नागरिक संहिता का विरोध। मुस्लिम और अन्य अल्पसंख्यकों के जान व माल और उनकी सुरक्षा की गारंटी जैसी बड़ी मांगे की जाएंगी और एस सी, एस टी और ओ बी सी और अन्य अल्पसंख्यकों के बीच भाईचारे के काम में मजबूती व तेज़ी लाने पर ज़ोर दिया जाएगा। मौलाना उसामा कासमी ने कहा कि समस्याओं में उलझ कर परेशान न हों बल्कि अपने जैसी समस्याओं से पीड़ित लोगों को एकजुट करके समस्याओं को हल करने के लिए संघर्ष करें। मौलाना सैयद महमूद मदनी की दलित-मुस्लिम एकता की अपील पर वक्त व हालात को सामने रखकर समझने की कोशिश करें। अगर आज हमने वक्त की ज़रूरतों को पूरा नहीं किया तो आने वाला वक्त देश के अस्तित्व व अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिये अधिक खतरनाक साबित होगा। सभी देशप्रेमियों को यह बात अपने मन में डाल लेनी चाहिए कि भारत का विकास व अस्तित्व का रहस्य केवल आपसी एकता व भाई चारा में निहित है।