नई दिल्ली: नोटबंदी के बाद लोगों के गैर-नकदी लेन-देन की ओर रूख करने के चलते डिजिटल मोबाइल भुगतान सेवा मुहैया कराने वाली कंपनी पेटीएम से रोजाना 70 लाख सौदे होने लगे हैं जिनका मूल्य करीब 120 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। सौदों में आई भारी तेजी से कंपनी को अपने पांच अरब डॉलर मूल्य की सकल उत्पाद बिक्री (जीएमवी) लक्ष्य को तय समय से चार महीने पहले ही प्राप्त कर लिया है।

जीएमवी ऑनलाइन क्षेत्र में कार्य करने वाली कंपनियों के कारोबार को मापने का पैमाना है। इसका मतलब किसी ऑनलाइन मंच से बेची जाने वाली वस्तुओं का सकल मूल्य से है। पिछले साल पेटीएम का जीएमवी तीन अरब डॉलर था। पेटीएम में चीन के अलीबाबा समूह की बड़ी हिस्सेदारी है। यह कंपनी लोगों को मोबाइल वॉलेट पर लेन-देन के साथ ही अपने मंच पर ई-वाणिज्य की सेवा भी मुहैया कराती है। कंपनी ने कहा कि अभी उसके मंच पर रोजाना 70 लाख लेन-देन हो रहे हैं जिनकी कीमत करीब 120 करोड़ रपये तक पहुंच गई है।

कंपनी के उपाध्यक्ष सुधांशु गुप्ता ने कहा, पेटीएम पर एक दिन में करीब 120 करोड़ रपये लागत के 70 लाख लेन-देन हो रहे हैं। इसमें देश के कई हिस्सों में लाखों ग्राहक और दुकानदार ऐसे हैं जो पेटीएम पर पहली बार लेन-देन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कंपनी अभी भारत में डेबिट और क्रेडिट कार्ड के द्वारा रोजाना होने वाले औसत लेन-देन से ज्यादा लेन-देन कर रही है।

कंपनी के उपाध्यक्ष गुप्ता ने कहा कि नोटबंदी के बाद पिछले दस दिनों में 4.5 करोड़ से ज्यादा लोगों ने पेटीएम की सेवा ली है जिसमें से करीब 50 लाख नए उपयोक्ता हैं। उन्होंने कहा, कंपनी के कुल कारोबार में ऑफलाइन लेन-देन की हिस्सेदारी 65 प्रतिशत के उपर पहुंच गई है जबकि छह महीने पहले यह 15 प्रतिशत के करीब था।

हम अपने साथ जुड़े दुकानदारों की संख्या बढ़ाने पर भी काम कर रहे हैं। हम अपने नेटवर्क में डेढ़ लाख अतिरिक्त दुकानदारों को जोड़ेंगे। गुप्ता ने कहा कि कंपनी के मंच से बिकने वाले उत्पादों का कुल मूल्य (जीएमवी) पांच अरब डॉलर को पार कर गया है। देशभर में किराना दुकानों, टैक्सी, ऑटोरिक्शा, रेस्तरां, कॉफी शॉप, सिनेमाघर और पार्किंग इत्यादि के लिए 10 लाख से उपर लोग ऑफलाइन पेटीएम भुगतान सेवा का इस्तेमाल कर रहे हैं।

कंपनी ने अपने ग्राहक को जानो (केवाईसी) नियमों से परिपूर्ण दुकानदारों के लिए पेटीएम से बैंक खाते में रपये को भेजने पर लिए जाने वाले एक प्रतिशत के शुल्क को भी माफ कर दिया है। एसोचैम-आरएनसीओएस ने एक संयुक्त अध्ययन में कहा है कि देश में वित्तवर्ष 2021-22 तक मोबाइल वालेट से होने वाले लेन-देन की संख्या 153 अरब हो जाएगी जो वित्तवर्ष 2015-16 के तीन अरब लेन-देन के मुकाबले 90 प्रतिशत की सकल वद्धि होगी।