लखनऊः उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने आज कबीर शांति भवन, गोमती नगर लखनऊ के प्रेक्षागृह में गाईड समाज कल्याण संस्थान द्वारा आयोजित संगोष्ठी ‘वृद्धावस्था: जीवन की प्रेम सौहार्द की स्वर्णिम संध्या’ पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि वृद्धावस्था जीवन का अटूट अंग है। जैसे जीवन और मृत्यु है, उसी तरह जीवन मिलने के बाद बचपन, किशोरावस्था, युवाकाल और वृद्धावस्था निसर्ग का नियम है। इस नियम को मानने से जीवन का आनन्द मिलेगा। उन्होंने कहा कि रोने से नहीं बल्कि जीवन का आनन्द लेना ही जीवन का असली सार है।

राज्यपाल ने कहा कि संयुक्त परिवार की कल्पना अनेकों व्यवहारिक कारणों से टूट रही है। बच्चे उच्च शिक्षा के लिये विदेश जाते हैं और फिर वही बस जाते हैं। मगर समस्या इस बात की है कि वे विकास की दौड़ में अपने सामाजिक दायित्व को भूलते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि माता-पिता ने बच्चों का पालन पोषण किया, बच्चें माता-पिता के प्रति अपने दायित्व को समझें।

श्री नाईक ने कहा कि व्यस्तता से मनुष्य स्वस्थ रहता है। सदैव काम करते रहना चाहिए इसी में जीवन का आनन्द है। जीवन को सार्थक बनाने के लिए भारतीय संस्कृति को व्यवहार में लायें। ऐसी सोच से कोई बात पीड़ा नहीं देती। जीवन में दूसरों को आनन्द देने से अच्छी और कोई बात नहीं है। राज्यपाल ने जीवन का सार समझाने के लिये चरैवेति! चरैवेति!! के श्लोक को उद्धृत किया तथा उसके अर्थ को भी समझाया। उन्होंने कहा कि समाज और सरकार का दायित्व है कि वृद्धों की समस्या पर ध्यान दे।

कार्यक्रम में न्यायमूर्ति कमलेश्वर नाथ ने कहा कि वृद्धावस्था को आम तौर से लोग बोझ समझते हैं। संस्था ने वृद्धावस्था को ‘स्वर्णिम संध्या’ का नाम देकर नया अध्याय जोड़ा है। जीवन का लक्ष्य आनन्द है और आनन्द परिवार की सुख-शांति में निहित है। उन्होंने कहा कि समाज में खुशी बाटने का प्रयास करें।

न्यायमूर्ति एस0सी0 वर्मा ने कहा कि वृद्धजनों की सेवा के लिये मानसिक बदलाव लायें। वृद्धजन समाज से जुडे़। उन्होंने कहा कि जीवन के अनुभव व्यक्ति को महान और प्रतिष्ठित बनाते हैं।

इस अवसर पर पद्मश्री गोपाल दास ‘नीरज’, राजनाथ सिंह ‘सूर्य’ एम0सी0 अग्रवाल, रामअरूण, डाॅ0 अनुराग खरे, अभयराज सिंह, जी0के0 सेठ, श्रीमती रेखा गुप्ता, एवं श्रीमती आभा को अंग वस्त्र एवं श्रीफल देकर सम्मानित किया गया। राज्यपाल ने इस अवसर पर एक स्मारिका का लोकार्पण भी किया। कार्यक्रम का संयोजन डाॅ0 इंदु सुभाष द्वारा किया गया।