इजरायल के प्रति भारत की नीति में परिवर्तन के खिलाफ कानपूर में विरोध प्रदर्शन
कानपुर: अतिक्रमणकारों, युद्ध अपराधों का दोषी, दुनिया में आतंकवादी जुल्म व ज्यादती का प्रतीक बन चुका इज़रायल की भारत के स्वतंत्रता सेनानियों व देश के नेताओं ने हमेशा से विरोध और फिलिस्तीनीयों का समर्थन करते आए हैं अब इजरायल के प्रति भारत की नीति में परिवर्तन के खिलाफ जमीयत उलमा हिन्द विरोध व प्रदर्शन कर रही है आज कानपुर में भी जामा मस्जिद अशरफाबाद जाजमऊ से पुरानी चुंगी तक रैली निकालकर विरोध व प्रदर्शन करके संयुक्त राष्ट्र से इजरायल को आतंकवादी देश घोषित करने की मांग की।

इस अवसर पर जमीयत उलमा उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष मौलाना मुहम्मद मतीनुल हक़ उसामा क़ासमी ने कहा कि जमीयत उलमा हिन्द की काल पर आतंकवादी इज़रायल के राष्ट्रपति की भारत आगमन और पच्चीस वर्षीय राजनयिक संबंधों का जश्न मनाने के खिलाफ कानपुर में जामा मस्जिद अशरफाबाद जाजमऊ से पुरानी चुंगी तक जुमा की नमाज़ के बाद एक रैली निकालकर प्रदर्शन व विरोध करके पीड़ित फिलिस्तीनियों के साथ हमदर्दी दिखाने व वर्तमान केंद्र सरकार के द्वारा देश की प्राचीन विदेश नीति जिसकी नींव हमेशा पीड़ितों के साथ खड़े होने पर आधारित थी उसमें परिवर्तन का विरोध किया जा रहा। भारत को साम्रराज्यवादी शक्ति से मुक्ति दिलाने वाले देश के नेता मज़लूम फिलिस्तीनियों की मदद और समर्थन में हमेशा आगे रहे, भारत की फिलिस्तीनी नीति में बदलाव से भारत की छवि खराब हो रही है। इजरायल फिलीस्तीनियों पर अत्याचार ज्यादती, हिंसा, घृणा और शत्रुता का बाजार गर्म किए हुए है और उनकी भूमि पर जबरन कब्जा कर कालोनियाँ तक बना ली हैं और यह सिलसिला अब तक जारी है, बच्चों, महिलाओं, बुजुर्गों तक को अपनी बर्बरता व हैवानियत का निशाना बनाकर फिलिस्तीनियों की संपत्ति को तबाह व बर्बाद करने में लगा हुआ है, इजरायल जो युद्ध अपराधों का दोषी है इसके राष्ट्रपति का भारत जैसे शांतिप्रिय देश में शानदार स्वागत और पच्चीस वर्षीय राजनयिक संबंधों का जश्न मनाना बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। जबकि दुनिया में इजरायल की छवि एक-जालिम व अत्याचारी के तौर पर उभरी है दुनिया उसके करतूत की भरपूर निंदा कर रही है ऐसे समय में भारत का अपनी पुरानी नीति से विचलन दुर्भाग्यपूर्ण तो है ही इससे ज्यादा चिंता की बात है कि हमारे देश की छवि दाग़दार हो रही है देश के नायकों ने भारत के लिये जो सपना देखा था उसे साकार करने के बजाय देश के नेता अत्याचारी शक्तियों और जा़लिमों का साथ देने में लगे हुए हैं। इज़रायल के साथ जश्न में शरीक होना और आर्थिक संबंध स्थापित करना इस यौद्धिक पागलपन, जातिवाद सोच और नरसंहार में वित्तीय समर्थन मदद करने के बराबर है । ऐसे अतिक्रमणकारी और अत्याचारी देश के साथ संबंध का पच्चीस वर्षीय उत्सव का नहीं बल्कि संशोधन और खेद अभिव्यक्ति का मौका है । जमीयत उलमा यौद्धिक अपराध के दोषी इज़रायल के साथ भारत के बढ़ते संबंधों की कड़ी निंदा और संयुक्त राष्ट्र से इज़रायल को आतंकवादी देश करार देने की मांग करती है और हम पीड़ित व पूरी तरह बरबाद हो चुके फिलिस्तीनियों के साथ हैं।
मौलाना उसामा ने सरकार से कहा कि वह देश की नीति न बदले अन्यथा देश की प्रतिष्ठा कम होगी और उसकी छवि दाग़दार होगी। मौलाना ने कहा कि होना तो यह चाहिए था कि भारत सरकार उन्हें कहे कि आप पीड़ितों पर अत्याचार बंद कीजिए वरना हम अपने संबंध समाप्त कर लेते हैं, सरकार 25 साल का जश्न न मनाए बल्कि अपने संबंधों पर पुनर्विचार करे।