नई दिल्ली: सरकार के नोटबंदी के फैसले के खिलाफ ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस द्वारा बुधवार को बुलाए गए मार्च में कांग्रेस शामिल नहीं होगी, लेकिन इस प्रदर्शन में बीजेपी की सहयोगी पार्टी शिवसेना हिस्सा लेगी. शिवसेना नेता संजय राउत ने मंगलवार को कहा कि उनकी पार्टी इस मुद्दे पर ममता बनर्जी के नेतृत्व में राष्ट्रपति से मुलाकात करेगी.

विपक्षी दलों ने मंगलवार को नोटबंदी के मुद्दे पर बैठक की. इस बैठक में कांग्रेस, सीपीएम, सीपीआई, एनसीपी, आरजेडी, टीएमसी, जेएमएम, आरएसपी, जेडीयू, बीएसपी और सपा शामिल हुए. बैठक में आम आदमी पार्टी, डीएमके, एडीएमके और बीजेडी जैसी पार्टियां मौजूद नहीं थीं. कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल संसद में चर्चा से पहले राष्ट्रपति से मिलने के पक्ष में नहीं हैं, जबिक ममता बनर्जी ने साफ कर दिया है कि वह बुधवार को राष्ट्रपति से मिलेंगी.

मोदी सरकार पर देश में 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों को चलन से बाहर करने का फैसला कर देश की जनता को भिखारी बनाने का आरोप लगाते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि वह बुधवार को इस मुद्दे पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात करेंगी, भले ही अन्य दल उनके साथ जाएं या नहीं.

ममता ने नई दिल्ली रवाना होने से पहले कोलकाता में हवाई अड्डे पर संवाददाताओं से कहा, 'मैं नोटबंदी के मुद्दे पर राष्ट्रपति से मिलूंगी. मैं अपने 40 सांसदों के साथ उनसे मिलने जाऊंगी. मैंने विभिन्न राजनीतिक दलों से बात की है. अगर वे मेरे साथ चलना चाहते हैं, तो अच्छी बात है. अगर नहीं तो मैं अपने सांसदों के साथ ही जाऊंगी. नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला मेरे साथ आ सकते हैं.'

इस मुद्दे पर राष्ट्रपति से मुलाकात को थोड़ा जल्दबाजी बताने वाले कुछ राजनीतिक दलों के बयानों के बारे में पूछे जाने पर ममता ने कहा, 'यह उनकी मर्जी है. रोगी की मौत से पहले आपको डॉक्टर को दिखाना होता है. रोगी के मर जाने के बाद डॉक्टर को बुलाने का कोई मतलब नहीं है. आपको अभी राष्ट्रपति से मिलना जरूरी है. मैं चाहती हूं कि सभी राजनीतिक दल राष्ट्रपति से मुलाकात करें.'

उल्लेखनीय है कि बीजेपी के खिलाफ विपक्ष को इस मुद्दे पर एकजुट करने के ममता के प्रयासों को उस समय झटका लगा जब सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने सोमवार को कहा था कि पार्टी देखना चाहेगी कि सरकार इस मुद्दे पर संसद में क्या रुख अपनाती है और किसका क्या रुख रहता है.