नई दिल्ली: जिस वक्‍त का दुनिया इंतजार कर रही थी वो आखिरकार आ ही गया। दुनिया के कई देशों में सुपर मून नजर आया। 1948 के बाद यह पहली बार होगा जब इतना बड़ा और चमकीला चांद नजर आया है। इसके बाद अब 2034 तक इस तरह का नाजारा देखने को नहीं मिलेगा। दुनिया के कई देशों में यह सुपर मून देखा जा चुका है और उसकी सांस थाम लेने वाली तस्‍वीरें भी सामने आई हैं।

तस्‍वीरों को देखकर ही लग जाता है कि जब यह सुपर मून सामने होगा तो इसका नजारा कैसा होगा। विशेषज्ञ बता रहे हैं कि इस रात को दिखने वाला चांद आम पूर्णमासी को दिखने वाले चांद की तुलना में 14 फीसद ज्यादा बड़ा और 30 फीसद तक ज्यादा चमकीला है। सुपर मून शब्द का पहली बार प्रयोग करीब 30 साल पहले एस्ट्रोलॉजर रिचर्ड नोएल ने किया था।

दरअसल, इस स्थिति में चंद्रमा धरती के काफी करीब आ जाता है क्योंकि धरती की कक्षा पूरी तरह से गोल न होकर दीर्धवृत्ताकार है। जब चंद्रमा धरती के काफी करीब होता है तो वह ज्यादा चमकीला और बड़ा दिखाता है, जिसे सुपर मून कहा जाता है।

चंद्रमा 356,111 किमी की दूरी पर धरती के पास से गुजरेगा। यानी देखा जाए तो साल 1948 के बाद यह धरती के काफी करीब से गुजरेगा। आम तौर पर सुपर मून चमकीली पूर्णमासी की तुलना में 15 फीसद तक अधिक चमकीला दिखता है और यही वजह है कि फुल मून में चांद की छटा देखने लायक होती है।