राज्यपाल राम नाईक की पुस्तक का लोकार्पण

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक के संस्मरण संग्रह ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ के हिंदी, अंग्रेजी एवं उर्दू संस्करणों का लोकार्पण आज राजभवन के गांधी सभागार में किया गया। लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता केंद्रीय गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने की तथा मुख्य अतिथि प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव थे। इस अवसर पर पश्चिम बंगाल के राज्यपाल श्री केशरी नाथ त्रिपाठी, उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री श्री अम्मार रिज़वी, उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री एवं समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मुलायम सिंह यादव तथा विधान सभा अध्यक्ष श्री माता प्रसाद पाण्डे, मंत्री श्री अहमद हसन, मंत्री श्री राजेन्द्र चैधरी, मंत्री श्री गायत्री प्रजापति, पूर्व राज्यपाल श्री माता प्रसाद, लोकायुक्त श्री संजय मिश्रा, विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपतिगण, हिंदी और उर्दू के चुनिंदा साहित्यकार व अन्य विशिष्ट नागरिकजन उपस्थित थे। लोकार्पण समारोह में राज्यपाल की पत्नी श्रीमती कुंदा नाईक, पुत्रियाँ डाॅ0 निशिगंधा नाईक एवं श्रीमती विशाखा नाईक कुलकर्णी सहित परिवार के अन्य सदस्य भी उपस्थित थे।

राज्यपाल राम नाईक ने पुस्तक के लेखक के तौर पर बताया कि उन्होंने पुस्तक में बचपन से लेकर राजभवन आने तक के संस्मरणों को छोटे-छोटे अध्यायों में बाटकर अपने राजनैतिक जीवन में समाधान एवं संतुष्टि प्रदान करने वाले कार्यों का जिक्र किया है। राज्यपाल ने विपक्ष में सांसद रहते संसद में जन-गण-मन और वंदे मातरम्, स्तनपान को प्रोत्साहन एवं शिशु आहार के विज्ञापन पर पाबंदी, मुंबई को उसका असली नाम देने तथा सांसद निधि का विशेष रूप से उल्लेख किया। उन्होंने यह भी बताया कि रेल एवं पेट्रोलियम मंत्रालय के मंत्री के रूप में उन्होंने आम जनता की सुविधा के लिये क्या-क्या कदम उठाये और कारगिल युद्ध के शहीदों के परिजनों के लिये कैसे पेट्रोल पम्प और गैस एजेन्सी निःशुल्क सरकारी खर्च पर उपलब्ध करायी गयी। राज्यपाल ने अपने सामाजिक कार्य की सफलता का श्रेय अपनी पत्नी श्रीमती कुंदा नाईक और अपनी दोनों पुत्रियों को देते हुए कहा कि यह पुस्तक उनके सभी सहयोगियों और शुभचिंतकों को समर्पित की गयी है।

केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने राज्यपाल को उनकी पुस्तक की बधाई देते हुए कहा कि यह पुस्तक राजनीति एवं सामाजिक क्षेत्र में कार्य करने वालों के लिए पथ-प्रदर्शक है। राज्यपाल राम नाईक का केवल राजनीतिक नहीं बल्कि सामाजिक क्षेत्र में भी बहुत आदर है। वे अनुशासन प्रिय और ईमानदार नेता रहे हैं। ओजस्वी, प्रखर और तथ्यपूर्ण भाषण देने की उनमें कला है। उन्होंने कहा कि चुनौतियों को स्वीकार करने वाले का नाम है राम नाईक।

श्री राजनाथ ने कहा कि राज्यपाल पद की जिम्मेदारी सामान्य बात नहीं है। श्री नाईक ने विभिन्न राजनैतिक दलों के बीच संवैधानिक गरिमा बनाकर रखी है और अपनी जिम्मेदारियों का बखूबी निर्वाह किया है। पेट्रोलियम मंत्री रहते हुए उन्होंने अनेक कीर्तिमान स्थापित किये और पाईप लाइन से गैस की कल्पना उनकी ही देन है। राजनीति के क्षेत्र में काम करने वाले लोग उनके जीवन से प्रेरणा प्राप्त करेंगे। उन्होंने कहा कि चरैवेति! चरैवेति!! केवल एक पुस्तक ही नहीं नहीं बल्कि राज्यपाल राम नाईक के जीवन का मूल मंत्र है।

मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने राज्यपाल को उनकी पुस्तक चरैवेति! चरैवेति!! की बधाई दी और कहा कि इस पुस्तक में नये और कम उम्र के लोगों के लिये सीखने को बहुत कुछ है। पुस्तक मराठी के साथ-साथ हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू में है जिसकी वजह से ज्यादा से ज्यादा लोगों को पढ़ने का अवसर मिलेगा। उन्होंने राज्यपाल की प्रशंसा करते हुए कहा कि राज्यपाल के साथ काम करके उन्हें बहुत कुछ सीखने को मिला है। मुख्यमंत्री ने राज्यपाल का इस बात के लिये धन्यवाद भी दिया कि उन्होंने अपने बहुमूल्य सुझावों से सरकार के लिये रास्ता भी निकाला है।

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल श्री केशरी नाथ त्रिपाठी ने कहा कि चरैवेति! चरैवेति!! वास्तव में पाठकों के लिये एक संदेश है। यह पुस्तक राज्यपाल राम नाईक के जीवन की संघर्ष गाथा है जिसमें एक लक्ष्य निर्धारण करके उसकी पूर्ति करने के साथ-साथ दायित्व का बोध भी कराती है। सामाजिक कार्य करने वालों को बहुत कुछ त्याग करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि वास्तव में यह पुस्तक सीमित दायरे से बाहर निकलकर समाज सेवा करने के लिए प्रेरित करती है।

उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री अम्मार रिज़वी ने राज्यपाल श्री राम नाईक को शुभकामना देते हुए कहा कि 82 साल की उम्र में वे आज भी सक्रिय है। वास्तव में वे राम नाईक नहीं राज नायक हैं। उन्होंने कहा कि लम्बे राजनैतिक एवं सामाजिक जीवन में 11 राज्यपालों और 11 मुख्यमंत्रियों के साथ काम करने का उन्हें मौका मिला, मगर राज्यपाल राम नाईक ने कम समय में ही अपने व्यवहार से उत्तर प्रदेश के लोगों के दिलों में जगह बना ली है।

कार्यक्रम का संचालन दूरदर्शन केन्द्र लखनऊ के कार्यक्रम अधिशासी श्री आत्म प्रकाश मिश्र ने हिंदी में तथा लखनऊ विश्वविद्यालय उर्दू विभाग के अध्यक्ष डाॅ0 अब्बास रज़ा नैय्यर ने उर्दू में करके श्रोताओं को बांधे रखा। राज्यपाल ने इस अवसर पर मराठी पुस्तक के प्रकाशक श्री आनन्द लिमये, हिंदी एवं अंग्रेजी संस्करण के प्रकाशक श्री प्रभात कुमार, उर्दू संस्करण के प्रकाशक श्री एजाज हैदर, हिंदी अनुवादक श्रीमती कुमुद चावरे, अंग्रेजी के अनुवादक श्री दिलीप चावरे, उर्दू के अनुवादक डाॅ0 अब्बास रजा नैय्यर तथा फोटोग्राफर श्री रवि कपूर को पुष्प गुच्छ व शाल देकर सम्मानित भी किया। कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन राज्यपाल की पुत्री श्रीमती विशाखा नाईक कुलकर्णी ने किया।