लखनऊ। वैसे तो सदियों से देश के मूलनिवासी दलित-आदिवासी और पिछड़े (शूद्र-अति शूद्र) नाजायजतौर पर धन-धरती पर काबिज अति-अल्पसंख्यक सवर्ण-हिन्दुओं (ब्राहमण, क्षत्रिय और वैश्य) की बेवजह बेइंतिहा जुल्म-ज्यादती, अन्याय-अत्याचार, हत्या-बलात्कार के शिकार रहे हैं और इसी तरह ये हमारे मुस्लिम, बौद्ध, सिख, ईसाई भाईयों को भी निशाना बनाते रहे हैं। देश की तथाकथित आजादी के बाद तो यह सिलसिला रूक जाना चाहिए लेकिन देश-प्रदेश में सरकार चाहे कोई भी क्यों न हो इस काम को शासन, पुलिस, प्रशासन और न्यायापालिका में बैठे सवर्ण-हिन्दुओं की शह और सहयोग से बखूबी अंजाम दिया जा रहा है। कांग्रेस सरकार के चलते दलित-आदिवासियों के आरक्षण का कोटा पूरा नहीं होने दिया, मण्डल कमीशन के जरिये जब पिछड़ी जातियों को नौकरियां देने की बात आई तो यही सवर्ण-हिन्दू विरोध में जलने-मरने को अमादा हो गये और बाकी काम न्यायपालिका में बैठे सवर्ण-हिन्दुओं ने कर दिया। इन्हीं सवर्ण हिन्दू कांग्रेसियों ने मुसलमानों को न सिर्फ शासन, पुलिस, प्रशासन और न्यायपालिका से बेदखल किया बल्कि अनगिनत दंगे करवाकर मुसलमानों को सुकून से जीने नहीं दिया।

उत्तर प्रदेश में सपा और बसपा नेताओं की बेईमानों और लूट के चलते इनकी सरकारों ने भी कांग्रेसी और भाजपाई सवर्ण-हिन्दुओं के हाथों की कठपुतली बनकर दलित-मुस्लिम और पिछड़ों को उनके हक, हिफाजत और हिस्सेदारी से महरूम रखा। ताज्जुब की बात तो यह रही कि मायावती सरकार ने दलितों के आरक्षण की रखवाली के लिए आरक्षण के घोर विरोधी पण्डित सतीश मिश्रा को पहरूकार बनाकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में खड़ा कर दिया नतीजा इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दलितों के खिलाफ फैसला दे दिया और बाकी काम तमाम मुलायम पुत्र अखिलेश यादव की सरकार ने दलितों का डिमोशन करके कर दिया। मुलायम सिंह यादव द्वारा मुसलमानों से किये गये वादे 18 प्रतिशत आरक्षण और निमेश आयोग की शिफारिसों को लागू करना जुमले ही साबित हुए। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अखलाक के कातिल को 25 लाख रू0 इनाम देकर साबित कर दिया है कि उनका मुसलमानों से कोई सरोकार नहीं।
दादरी में भाजपाइयों द्वारा एक साजिश के तहत गाय के गोश्त के बहाने अखलाक की हत्या, झारखण्ड में भैंसों के मुस्लिम व्यापारियों को पेड़ पर लटकाकर मार डालना, मंदसौर (म0प्र0) में मुस्लिम महिलाओं को गाय के गोश्त के शक में हिन्दुत्ववादियों द्वारा सरेआम पीट-पीटकर अधमरा करना, दनकौर और शाहजहांपुर में दलित महिलाओं को सड़को पर नंगा घुमाया जाना, हरियाणा में दलित बच्चों की निर्मम हत्या, हैदराबाद सेण्ट्रल युनीवर्सिटी के दलित शोध छात्र रोहित वेमूला की निर्मम हत्या, उना (गुजरात) में मरी हुई गाय की खाल उतारने पर दलितों की खाल उधेड़ देना, भोपाल में आठ मुस्लिम नौजवानों को जेल से निकालकर मार डालना…आदि घटनायें

हिन्दू-अराजकता की पुष्ष्टि करती हैं। जाहिर है कि केन्द्र में आर0एस0एस0 द्वारा संचालित भाजपा के सत्तासीन होने के बाद हिन्दू आतंकवाद चर्म पर है।
सवर्ण-हिन्दुओं और उनके प्यादों की कांग्रेस, भाजपा, सपा, बसपा एवंत माम अन्य राजनैतिक पार्टियों और उनके नेताओं की दलित-मुस्लिम और पिछड़ा समाज विरोधी कुटिल मानसिकता और कुकृत्यों के चलते दलित-मुस्लिम और पिछड़े समाज के लोगों को सवर्ण-हिन्दुओं को वोट देना बन्द कर इन्हें देश और प्रदेश की शासन-सत्ता से बेदखल करना होगा फिर ये हमारा बाल भी बांका नहीं कर सकेंगे।
अपनी खुद की शासन-सत्ता कायम करने के लिए उ0प्र0 के आगामी चुनाव में दलित मुस्लिम और पिछड़े समाज के लिए सच्चे और ईमानदार दलित और मुस्लिम नेताओं की पहल पर एक शानदार विकल्प ‘‘यू0पी0 इत्तेहाद फ्रण्ट’’ (दलित-मुस्लिम-पिछड़ा महागठबंधन) सामने आया है जिसके जरिये दलित मुस्लिम और पिछड़े समाज के भाईचारे को अमलीजामा पहनाकर खुद की सरकार बनाने की कोशिश की जा रही है।

अतः अपने हक-हिफाजत और हिस्सेदारी सुनिश्चित करने के लिए प्रदेश भर में हक हिफाजत हुकूमत रैलियां आयोजित की जा रही हैं जिसकी शुरूआत 09 नवम्बर, 2016 को लखनऊ से हो रही है। इसी क्रम में अम्बेडकर समाज पार्टी द्वारा द्वारा सोमवार दिनांक 14 नवम्बर, 2016 को खानकाह कालेज मैदान बांदा में हक हिफाजत हुकूमत रैली का आयोजन किया जा रहा है जिसमें यू0पी0 इत्तेहाद फ्रण्ट (डी0एम0पी0एम0) के सभी नेता शिरकत कर रहे हैं। हमारी इस मुहिम को साकार करने के लिए हमारे सामाजिक और धार्मिक संगठन भी बढ़ चढ़कर सहयोग कर रहे हैं।

फ्रण्ट में शामिल राजनैतिक दल अम्बेडकर समाज पार्टी (भाई तेज सिंह), अवामी विकास पार्टी (शमशेर खान पठान), इण्डियन नेशनल पार्टी (मुहम्मद सुलेमान), नभारत निर्माण पार्टी (मो0 जसीम), देशजर्नालिस्ट लोकतांत्रिक पार्टी (अरशद), नेशनल लोकमत पार्टी (मो0 लताफत), एन0डी0पी0एफ0 (रामन गुप्त), परचम पार्टी ऑफ इण्डिया (सलीम पीरजादा), वैल्फेयर पार्टी ऑफ इंण्डिया (डॉ0 एस0क्यू0आर0 इलियस)।