नई दिल्ली: न्यू डेल्ही टेलीविज़न यानी एनडीटीवी के हिन्दी चैनल पर प्रतिबंध की मुस्लिम स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइज़ेशन यानी एमएसओ ने निंदा करते हुए इसे लोकतंत्र पर हमला बताया है।
नई दिल्ली में पत्रकारों से बात करते हुए एमएसओ के राष्ट्रीय महासचिव शुजात अली क़ादरी ने कहाकि एनडीटीवी इंडिया पर एक दिन के प्रतिबंध के बहाने केन्द्र सरकार मीडिया में प्रतिरोध को नाप रही है और अगर इसका व्यापक विरोध नहीं होता है तो यह सरकार मीडिया पर नियंत्रण के लिए आपातकाल की स्थिति तक जा सकती है। क़ादरी ने कहाकि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि मीडिया में मालिकों के इशारों पर राजनीतिक दल की तरह काम कर रहे कई सम्पादक और पत्रकार यह नहीं समझ रहे हैं कि यदि उन्होंने आज मोदी सरकार के इस क़दम का विरोध नहीं किया तो कल उन्हें इसी प्रकार के प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है। क़ादरी ने कहाकि साल १९७७ में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी ने इसी प्रकार मीडिया को नियंत्रित करने की कोशिश की थी लेकिन उन्हें इसका राजनीतिक नुकस़ान उठाना पड़ा था। एमएसओ ने एनडीटीवी के साथ निष्ठा जताते हुए कहाकि वह उसके संघर्ष में साथ है और यदि आवश्यक हुआ तो वह आख़िर तक एनडीटीवी का साथ देंगे। एमएसओ ने पूरे देश में अपनी सभी यूनिटों को निर्देश दिया है कि यदि आवश्यक हुआ तो एनडीटीवी के एक दिवसीय प्रतिबंध वाले दिन यानी नौ नवम्बर को यथासंभव प्रदर्शन कर मीडिया की स्वतंत्रता के प्रति अपनी निष्ठा को जताएँ और एनडीटीवी पर एकतरफ़ा कार्रवाई का ज़ोरदार विरोध करें। आपको बता दें कि केन्द्र के सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने एनडीटीवी इंडिया को नोटिस देकर यह आरोप लगाया है कि पठानकोट के एयर बेस पर पाकिस्तानी आतंकवादियों के हमले के दौरान उसने ग़ैर ज़िम्मेदार रिपोर्टिंग की थी, जिसकी सज़ा के तौर पर उसे नौ नवम्बर को एक दिन के लिए प्रसारण बंद रखना होगा। इस नोटिस के बाद से ही देश भर में नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार के विरुद्ध जनता काफ़ी ग़ुस्से में है। हालांकि विभिन्न टीवी चैनल अपने मालिकों के निर्देश पर बँटे हुए हैं लेकिन पत्रकार अपनी क्षमता अनुसार एनडीटीवी को समर्थन दे रहे हैं। एमएसओ समेत भारत के कई प्रतिष्ठित संगठनों ने एनडीटीवी पर इस कार्रवाई को एकतरफ़ा, अन्यायपूर्ण, दुर्भावनाग्रस्त और हताशा से भरी बताया है।