लखनऊ: बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने नरेन्द्र मोदी ‘‘मिथ्या व भ्रामक प्रचार‘‘ का आरोप लगाते हुए कहा कि वास्तव में मोदी ने यह कहकर अपना मज़ाक खुद उड़ाया है कि सपा-बसपा आपस में मिले हुये हैं।

मायावती ने कहा कि उत्तर प्रदेश में हालाँकि अभी विधानसभा आमचुनाव के लिये तिथि की घोषणा नहीं हुई है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपनी पार्टी भाजपा की तरह ही, मिथ्या व भ्रामक प्रचार में अभी से ही जुट गये हैं, और इस क्रम में ऐसी ग़लतबयानी कर रहे हैं जो उत्तर प्रदेश व देश के लोगों के गले के नीचे कतई भी उतरने वाली नहीं है।
24 अक्टूबर को बुन्देलखण्ड के महोबा रैली के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा अपने भाषण में बसपा का सपा के साथ आपसी मिलीभगत होने के आरोप के जवाब में मायावती ने आज यहाँ जारी एक बयान में कहा कि 1995 को लखनऊ के स्टेट गेस्ट हाऊस में सपा नेतृत्व द्वारा उन पर कराये गये जानलेवा हमले के ‘‘अक्षम्य अपराध‘‘ के बाद बी.एस.पी. ने कभी भी सपा से कोई नाम मात्र का भी सियासी मेल-जोल नहीं रखा है। तब से लेकर आज तक लगभग 21 वर्षों की लम्बी अवधि में बी.एस.पी. हर स्तर पर व हर मोर्चें पर सपा के आपराधिक चाल, चरित्र व चेहरे का लगातार विरोध करती रही है और इस क्रम में कभी भी राजनीतिक व चुनावी लाभ-हानि पर ध्यान नहीं दिया है, जिसका गवाह आज तक का उत्तर प्रदेश व देश का तत्कालीन राजनीतिक इतिहास है।

इस मामले में पार्टी के स्तर के साथ-साथ सरकार में रहते हुये भी बी.एस.पी. ने जबर्दस्त तौर पर सपा के भ्रष्टाचार व उसके राजनीति के अपराधीकरण का काफी डटकर विरोध किया है तथा इस सम्बन्ध में अनेकों सख़्त फैसले लेकर सख़्त कानूनी कार्रवाई भी की है। फिर भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राजनीति करने पर ही अमादा लगते हैं और वे उत्तर प्रदेश विधानसभा आमचुनाव के मद्देनज़र लोगों को वरग़लाने के लिये मिथ्या प्रचार व असत्य आरोप लगा रहे हैं। यह एक दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है तथा उनको बसपा-सपा की मिलीभगत का आरोप उस कहावत को ही चरितार्थ करता है कि ’उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे’।

मायाति ने कहा कि इस बारे में जैसाकि सर्वविदित है कि भारतीय जनसंघ व इसके वर्तमान स्वरुप में भाजपा ने सपा नेता मुलायम सिंह यादव से सन् 1967 से ही सीधे सम्पर्क में रही और ख़ासकर सन् 1967, 1977 व सन् 1989 में मिलकर चुनाव भी लड़ा है। इसके अलावा अभी हाल ही में भाजपा व सपा ने एक-दूसरे से खुले तौर पर मिलकर बिहार में धर्मनिरपेक्ष गठबन्धन के खिलाफ विधानसभा आमचुनाव लड़ा था और बुरी तरह से परास्त भी हुये। जहाँ तक उत्तर प्रदेश का सवाल है तो यह स्पष्ट तौर पर लोगों ने बार-बार बल्कि अनेकों बार देखा है कि किस प्रकार सपा-भाजपा यहाँ एक-दूसरे पर नरम रहते है और आपसी साँठ-गाँठ करके प्रदेश को साम्प्रदायिक तनाव व दंगे की राजनीति करके दोनों एक-दूसरे की मदद करते रहते हैं। प्रदेश में ख़ासकर सन् 2013 के साम्प्रदायिक दंगे में भाजपा-सपा की मिलीभगत खुलकर लोगों के सामने आयी और इसका परिणाम यह हुआ कि काफी बड़ी संख्या में लोग मारे गये व लाखों लोग बेघर हुये। फिर भी मुख्य दोषी लोगां के खिलाफ सपा सरकार ने सख़्ती से कार्रवाई नहीं की, जिस कारण मुख्य दोषी लोग अब भी खुलेआम घूम रहे हैं तथा अपनी घोर साम्प्रदायिक गतिविधियां जारी रखे हुये हैं।