मुंबई: मुंबई की हाजी अली दरगाह ट्रस्ट ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि वह बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेशों का पालन करते हुए महिलाओं को भी दरगाह के अंदरूनी हिस्से में प्रवेश देगी. सुप्रीम कोर्ट ने इस दलील को मानते हुए ट्रस्ट को चार हफ्तों में महिलाओं को प्रवेश की इजाजत दे. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने याचिका का निपटारा कर दिया और कहा कि अगर किसी को इस मामले में कोई शिकायत हो तो वह बॉम्बे हाईकोर्ट जा सकता है.
मामले की सुनवाई के दौरान दरगाह की ओर से बताया गया कि ट्रस्ट ने प्रस्ताव पास किया है कि बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश का पालन किया जाएगा. ट्रस्ट दो हफ्तों के भीतर महिलाओं को प्रवेश देगी. इसके लिए रूपरेखा भी तैयार की गई है. इस पर CJI ठाकुर ने कहा कि अगर ट्रस्ट महिलाओं को प्रवेश देने को तैयार है तो फिर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की क्या जरूरत है.
दरअसल दरगाह में महिलाओं के प्रवेश को लेकर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने हाजी अली दरगाह ट्रस्ट को राहत देते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश पर रोक बढ़ा दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि था अगर दरगाह के एक पॉइंट तक पुरुषों को जाने की इजाजत है और महिलाओं को नहीं तो ये दिक्कत की बात है. दरगाह को प्रोगेसिव स्टैंड के साथ सुप्रीम कोर्ट में आए.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने 26 अगस्त को 2015 को महिलाओं के जाने पर लगी पाबंदी को असंवैधानिक बताते हुए हटा दिया था. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से दरगाह जाने वाली महिलाओं को सुरक्षा मुहैया कराने को कहा है. 2011 तक महिलाओं के प्रवेश पर यहां कोई पांबदी नहीं थी लेकिन 2012 में दरगाह मैनेजमेंट मे यह कहते हुए महिलाओं की एंट्री पर रोक लगा दी थी कि शरिया कानून के मुताबिक, महिलाओं का कब्रों पर जाना गैर-इस्लामी है. हाजी अली दरगाह ट्रस्ट इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देना चाहता था और ट्रस्ट की ओर से दायर याचिका के कारण हाईकोर्ट ने अपने इस आदेश पर छह हफ्ते के लिए रोक लगा दी थी.
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