नई दिल्ली। लोढ़ा कमेटी से तनानती पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बीसीसीआई प्रेसिडेंट अनुराग ठाकुर से पूछा कि क्या वह कमेटी की सिफारिशें लागू करने को लेकर लिखित अंडरटेकिंग देंगे या फिर कोर्ट ही आदेश जारी करे। इसपर बीसीसीआई ने हलफनामा देने से इनकार कर दिया। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई के अधिकारियों को सस्पेंड किए जाने वाले फैसले सुरक्षित कर लिए हैं। सर्वोच्च अदालत अब शुक्रवार को फैसला सुनाएगी।

सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई को उन स्टेट मेंबर्स को पैसा देने से मना किया, जो उनकी बात नहीं मानते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई से कहा- लोढ़ा कमेटी ने जो भी सवाल उठाए हैं आप सभी मामलों को क्लियर करें। जो भी स्टेट मेंबर आपकी बात नहीं सुन रहे हैं उन्हें पैसा न दें।

कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई के दौरान एमिकस क्यूरी गोपाल सुब्रमण्यम ने पूरे बीसीसीआई को सस्पेंड करने और उसकी जगह प्रशासक नियुक्त करने की मांग की, जबकि बीसीसीआई ने कहा कि उसने राज्य क्रिकेट एसोसिएशनों के बीच 400 करोड़ रुपये के फंड के बंटवारे का जो फैसला लिया है वो उसके रुटीन कामकाज का हिस्सा है।

आज जब इस मामले की कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई तो इस मामले में कोर्ट की ओर से एमिकस क्यूरी नियुक्त किए गए वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रमण्यम ने कहा कि बीसीसीआई लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों को लागू नहीं करना चाहती। कोर्ट के आदेश को जानबूझकर न मानने के चलते बीसीसीआई के खिलाफ कोर्ट की अवमानना का मामला बनता है। सुब्रमण्यम ने कोर्ट से अपील की कि बीसीसीआई के पदाधिकारियों को सस्पेंड किया जाए और उनकी जगह प्रशासकों का एक पैनल नियुक्त किया जाए।

उधर बीसीसीआई ने अपने उस कदम का बचाव किया जिसमें उसने राज्य एसोसिएशनों को 400 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम बांटने का फैसला किया था। बोर्ड का कहना था कि ये रुटीन का मामला है। मामले की सुनवाई अभी जारी है और माना जा रहा है कि कोर्ट इस मुद्दे पर बीसीसीआई को लेकर कोई बड़ा फैसला सुना सकती है।

गौरतलब है कि दिल्ली पुलिस ने 2013 में आईपीएल टीम राजस्थान रॉयल के तीन खिलाड़ियों को मैच के दौरान स्पॉट फिक्सिंग में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया था। इसी मामले में चेन्नई सुपर किंग्स के सीईओ गुरुनाथ मयप्पन की भी गिरफ्तारी हुई। मयप्पन तत्कालीन बीसीसीआई प्रेसिडेंट एन. श्रीनिवासन के दामाद हैं। इस मामले की जांच को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस मुकुल मुद्गल के नेतृत्व में मुद्गल कमेटी बनाई। 2014 में जस्टिस मुद्गल ने बीसीसीआई में सुधार की बात अपने रिपोर्ट में कही थी।

जस्टिस मुद्गल की रिपोर्ट पर कार्रवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई की कार्यपद्धति और संविधान में बदलाव के लिए जनवरी 2015 को जस्टिस आरएम लोढ़ा के नेतृत्व में तीन सदस्यों की कमेटी बनाई। जुलाई, 2015 में लोढ़ा पैनल ने अपना फैसला सुनाते हुए राजस्थान रॉयल और चेन्नई सुपर किंग्स को दो-दो साल के लिए आईपीएल से बैन कर दिया। और साथ ही सीएसके के सीईओ गुरुनाथ मयप्पन और राजस्थान रॉयल के मालिक राज कुंद्रा को क्रिकेट गतिविधियों से दूर रहने के लिए कहा था।