लखनऊ। फिल्में केवल मनोरंजन का साधन ही नहीं हैं बल्कि भाषा और साहित्य और सभ्यता को बढ़ावा देने का महत्वपूर्ण माध्यम भी हैं। यही कारण है कि दुनिया के किसी भी देश की संस्कृति सभ्यता वहाँ की फिल्मों में बखूबी देख सकते हैं। इन फिल्मों के जरिए ही एक देश और राष्ट्र की सभ्यता व संस्कृति दूसरे देश तक सरलता से पहुंच जाती है। इसी तरह देश की भाषा और लहजे को अपनाने में फिल्में बड़ी मदद करती है। इसी के मद्देनजर फारसी विभाग लखनऊ विश्वविद्यालय में दो दिवसीय फिल्म महोत्सव का शुभारंभ हुआ।

मालवीय हॉल में होने वाले इस समारोह का उद्घाटन ईरान कल्चरल हाउस के सहायक काउंसिलर हुज्जतुल्लाह आब्दी, डॉ अम्मार रिजवी, प्रोफेसर आरिफ अय्यूबी मृदुल भारद्वाज ने किया .डाक्टर अम्मार रिज़वी ने दोनों देशों के बीच मजबूत संबंध का जिक्र करते हुए कहा कि भारत और ईरान के बीच बहुत मजबूत रिश्ता है जो आज से नहीं है बल्कि प्राचीन काल से है। उन्होंने वहां की संस्कृति सभ्यता और भाषा और साहित्य पर बातचीत करते हुए कहा कि ईरान प्राचीन ज़माने से साहित्य समृद्ध रहा जिसकी सभ्यता संस्कृति ने पूरी दुनिया को अपनी तरफ खींचा। उन्होंने इस्लाम धर्म से पहले और बाद ईरान की सभ्यता संस्कृति पर विस्तार से चर्चा की।

डॉ अम्मार रिजवी ने कहा कि जब दो व्यक्तियों या देशों के बीच प्यार होता है और सम्बन्ध मजबूत होते हैं तो ऐसे में इस बात की आशंका भी रहती कि गलतफहमी पैदा हो जाय लेकिन उनकी गलतफहमी को दूर करने के लिए दोनों के पक्षों के लिए बेहतर है इसीलिए मैं चाहूँगा कि इन दोनों देशों के बीच किसी भी तरह की गलतफहमी नहीं होनी चाहिए और यदि ऐसा मौका कभी आये तो दोनों देशों को एक साथ बैठकर दूर कर लेना चाहिए जिससे दोनों देशों का फायदा होगा। उन्होंने अवध के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अवध गंगा जमुनी संस्कृति के महान केंद्र था दुर्भाग्य से अंग्रेजों की नापाक चाल ने इस विरासत को बर्बादी के पर पहुंच दिया ।
ईरान कल्चरल हाउस के श्री आब्दी ने कहा कि ईरान प्राचीन सभ्यता व संक्राति वाला देश है और साहित्य समृद्ध है, इसको बढ़ावा देने के लिए हम तरह की मदद के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि भाषा और साहित्य को बढ़ावा देने से केवल एक देश का फायदा नहीं होता बल्कि इससे दोनों देश लाभान्वित होते हैं। विकास की नई राहें खुलती हैं ।

इससे पहले फारसी लखनऊ विश्वविद्यालय के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर आरिफ अय्यूबी ने अपने स्वागत भाषण में भाषा और साहित्य के विकास में फिल्मों की भूमिका पर चर्चा करते हुए कहा कि इन फिल्मों से उच्चारण और लहजा सीखने में बहुत मदद मिलती है इसलिए हम अपने छात्रों छात्राओं और रिसर्च स्कालरों के लिए यह दो दिवसीय फिल्म महोत्सव का आयोजन किया है। उन्होंने कहा कि फिल्में जहां सभ्यता संस्कृति दूसरे देशों को स्थानांतरित करती हैं वहीं बल्कि भाषा और साहित्य को भी बढ़ावा मिलता है।

मृदुल भारद्वाज ने ईरानी फिल्मों के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ईरानी फिल्में मनोविज्ञान पर आधारित होती हैं जो भावनाओं को झकझोर कर रख देती हैं। उन्होंने कहा कि दुनिया में ईरानी सभ्यता संस्कृति को बढ़ावा देने में इन फिल्मों की अहम भूमिका रही है। उनसे भाषा और साहित्य को भी बढ़ावा मिल रहा है। कार्यक्रम का संचालन डॉ अर्शदुल कादरी ने की। उन्होंने इस दौरान भाषा और साहित्य के सीखने में फिल्मों के महत्व पर भी प्रकाश डाला और कहा कि हम फिल्मों के जरिए भाषा सीख सकते हैं। उन्होंने खासकर छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि जब तक संवादों और पात्रों के उच्चारण पर विशेष ध्यान नहीं देंगे तब तक उनसे फायदा नहीं उठा सकते।