लखनऊ, : बी.एस.पी. सुप्रीमों मायावती ने आज भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा के प्रोग्रामों के पीछे राजनीतिक व चुनावी स्वार्थ ज्यादा होता है व बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर के प्रति सम्मान की भावना कम होती है।
भाजपा द्वारा आज हुये कतिथ ‘‘मानवता सद्भावना समारोह‘‘ में उनके सभी प्रमुख नेताओं के मौजूदगी के बावजूद बुरी तरह से विफल होने पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये मायावती जी ने आज यहाँ जारी एक बयान में कहा कि भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को ग़लत जानकारी दी गयी है कि सपा मंत्री मो. आजम खान की डा. भीमराव अम्बेडकर के सम्बंध में की गयी अनर्गल टिप्पणी पर बी.एस.पी. खामोश रही। इस सम्बन्ध में वास्तविकता यह है कि बी.एस.पी. ने लिखित बयान जारी करके सम्बन्धित सपा मंत्री की कड़ी निन्दा की व उनसे सार्वजनिक तौर पर माफी मांगने की मांग की।
साथ ही सहारनपुर में पिछले रविवार को आयोजित बी.एस.पी. की समुन्द्री महारैली में बी.एस.पी. प्रमुख ने सार्वजनिक तौर पर सम्बन्धित मंत्री की कड़ी शब्दों में निन्दा की और आरोप लगाया कि बाबा साहेब को अपमानित करने वाला बयान सपा सरकार के मुख्यमंत्री के शह पर ही दिया गया है, जिसकी बी.एस.पी. कड़े शब्दों में निन्दा करती है।
मायावती ने कहा कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह द्वारा दलितों व गरीबों का हितैषी होने का दावा करना उतना ही गलत है जितना उन वर्गों के लोगों पर होने वाली जबर्दस्त जुल्म-ज्यादतियों की अनदेखी करना व उनको नकारना।
भाजपा नेतृत्व व उनके प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर के जीवन से जुड़े कुछ स्थानों के उद्धार की बातें अक्सर की जाती हैं, जबकि उनके अनुयाइयों पर केन्द्र में भाजपा सरकार आने के बाद से बढ़ने वाली जातिवादी जुल्म-ज्यादतियों व अमानवीय घटनाओं को बड़ी आसानी से भुला दिया जाता है।
इतना ही नहीं बल्कि दिल दहला देने वाले राष्ट्रीय शर्म के गुजरात के ऊना का बर्बर दलित काण्ड व श्री रोहित वेमुला को आत्महत्या करने को मजबूर कर देने के मामले में खासकर पीड़ित परिवारों को आज तक क्यों नहीं समुचित न्याय मिल पाया है? भाजपा व इनकी केन्द्र व राज्य सरकार को, दलितों के हित व कल्याण के सम्बन्ध में कोई दावा करने के पहले, इन सवालों का सन्तोषजनक जवाब देना चाहिये। साथ ही दलितों, पिछड़ों, मुस्लिम व अन्य धार्मिक अल्पसंख्यक समाज के पीड़ित व शोषित लोग भाजपा नेतृत्व की जुबानी सहानुभूति नहीं बल्कि दुःखद घटनाओं के सम्बन्ध में दोषियों को सख्त सजा मिलता हुआ ज़मीनी स्तर पर देखना चाहते हैं।
इतना ही नहीं बल्कि भाजपा व केन्द्र में इनकी सरकार के गरीब व दलित-हितैषी होने के दावे पूरी तरह से खोखले व मिथ्या प्रचार हैं, क्योंकि चुनाव के समय में इन वर्गों के हितों के सम्बन्ध में किये गये वायदे व इनके ’अच्छे दिन’ लाने के लोक-लुभावन वायदे भी अधिकांश पूरे नहीं किये गये हैं।
इन लोगों के नाम पर जो भी बीमा व सामाजिक सुरक्षा के नाम पर योजनायें पुरानी योजनाओं का केवल नामों को बदल-बदल कर चलायी गयी हैं, उनका सही लाभ भी इन वर्गां के लोगों को नहीं मिल रहा है, बल्कि अप्रत्यक्ष तौर पर इसका लाभ बड़े-बड़े पूँजीपतियों व धन्नासेठों को ही मिल रहा है। इस प्रकार भाजपा दलित व गरीबों की हितैषी पार्टी न होकर केवल बड़े-बड़े पूँजीपतियों धन्नासेठों की ही हितैषी पार्टी अब तक साबित हुई है।
कुल मिलाकर यह जग-जाहिर है कि लाख कोशिशों के बावजूद भाजपा अपना पूँजीपति समर्थन व खासकर ग़रीब, मजदूर व दलित आदि विरोधी चाल, चरित्र व चेहरा बदल नहीं पायी है और इसका असली चेहरा हमेशा लोगों के सामने जेहन में बना रहता है।