राज्यपाल ने एग्रीकल्चर लीडरशिप अवार्ड-2016 से सम्मानित किया

लखनऊः उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने दिल्ली में भारतीय कृषि एवं खाद्य परिषद द्वारा आयोजित ‘एग्रीकल्चर लीडरशिप अवार्ड-2016‘ में कृषि के क्षेत्र में सराहनीय योगदान देने वालों को सम्मानित किया। कार्यक्रम में राज्यपाल ने सर्वश्रेष्ठ जिला कृषि अवार्ड के लिए जिलाधिकारी लखीमपुर खीरी को, सर्वश्रेष्ठ अनुसंधान सम्मान के लिए भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान लखनऊ को तथा लाइफ टाइम एचीवमेंट सम्मान से रतन टाटा सहित 22 अन्य व्यक्तियों एवं संस्थाओं को सम्मानित किया। श्री रतन टाटा विदेश में होने के कारण कार्यक्रम में उपस्थित नहीं हो सके थे इसलिए राज्यपाल ने यह भी घोषणा की कि वे मुंबई जाकर स्वयं उन्हें सम्मानित करेंगे। कार्यक्रम में हरियाणा के राज्यपाल प्रो0 के0एस0 सोलांकी, राज्यसभा के उपसभापति प्रो0 पी0जे0 कुरियन, भारतीय कृषि एवं खाद्य परिषद के अध्यक्ष डाॅ0 एम0 खान, परिषद के महानिदेशक आलोक सिन्हा सहित अन्य विशिष्टजन व प्रतिभागी उपस्थित थे।
राज्यपाल ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि किसान के विकास से ही देश का विकास संभव है। किसान के विकास के लिए नीति निर्धारकों को उचित निर्णय करना चाहिए। कुछ लोग कहते है कि देश के किसान अनपढ़ हैं, मैं इस बात से सहमत नहीं हूँ। आज आवश्यकता इस बात है कि उन्हें खेती और उससे जुड़े व्यवसाय की और अधिक तकनीकी एवं वैज्ञानिक जानकारी दी जाये। देश की आजादी के बाद हम अन्न उत्पादन में आत्मनिर्भर हुए हैं, जबकि आबादी तीन गुना से ज्यादा बढ़ी है और कृषि योग्य भूमि शहरीकरण के कारण कम हुई है। किसान ने अपने परिश्रम से उत्पादकता बढ़ायी है। पूर्व में हम गेहूँ आयात करते थे पर अब हम निर्यात की स्थिति में आ गये हैं। उन्होंने कहा कि योग्य मार्गदर्शन से किसान अपनी उत्पादकता बढ़ा सकते हैं।
श्री नाईक ने कहा कि मिट्टी की जाँच से किसान सही फसल पैदा करने का निर्णय कर सकता है। उत्तर प्रदेश का प्रतापगढ़ जिला आंवला उत्पादन के लिए देश में विख्यात है। पूरे हिन्दुस्तान में प्रतापगढ़ से आंवला जाता है। इसी प्रकार महाराष्ट्र के नासिक में प्याज का उत्पादन होता है। कृषि के विकास से रोजगार का सृजन हो सकता है जिससे सबको भोजन और काम की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सकती है। अपने-अपने क्षेत्र के कृषि उत्पाद को किस तरह बढ़ाया जाये इस पर विचार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कृषि विशेषज्ञ एवं कृषि वैज्ञानिक इस भूमिका में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।
राज्यपाल ने कहा कि 1965 के युद्ध के समय देश में खाद्यान्न की कमी थी। पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री ने ‘जय जवान-जय किसान‘ का नारा देकर दोनों का उत्साहवर्द्धन किया तथा देश के नागरिकों से अन्न बचाने के लिए उपवास का आह्वान किया। पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने स्व0 लालबहादुर शास्त्री के नारे में ‘जय विज्ञान‘ का नारा जोड़कर वैज्ञानिकों का भी उत्साहवर्द्धन किया तथा उनकी भी कृषि के क्षेत्र में भूमिका सुनिश्चित की। उन्होंने कहा कि उत्साह बढ़ाने के लिए राजनैतिक क्षमता की आवश्यकता होती है।
श्री नाईक ने कहा कि मत्स्य उत्पादन में भारत दूसरे स्थान पर है। मत्स्य उद्योग को भी कृषि उद्योग मानकर कृषि जैसी अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने की आवश्यकताएं हैं। इनलैण्ड मत्स्य पालन के साथ-साथ सागर तट पर लगे प्रदेशों में भी बडे़ पैमाने पर मत्स्य संवर्धन हो रहा है, उन्हें भी उचित प्रोत्साहन मिलना चाहिए। जिन क्षेत्रों में उत्पादकता बढ़ने की संभावना है उसमें मत्स्य उद्योग बहुत बड़ा क्षेत्र है। उन्होंने सुझाव दिया कि मत्स्य पालकों के विकास के लिए विशेष प्रोत्साहन योजना बनानी चाहिए।