नई दिल्ली: मुंबई स्थित मझगांव डॉक पर तैयार की जा रही स्कॉर्पीन पनडुब्बियों से जुड़े बेहद गोपनीय दस्तावेज़ लीक होने के मामले में जांच शुरू किए जाने के 24 घंटे के भीतर ही भारत इस निष्कर्ष पर पहुंच गया है कि लीक भारत से नहीं हुआ.

सरकार ने इस लीक पर फ्रांसीसी निर्माता डीसीएनएस से रिपोर्ट तलब की है, जिसके साथ ऐसी छह स्कॉर्पीन पनडुब्बियां बनाने का सौदा 3.5 अरब अमेरिकी डॉलर में किया गया है. लीक हुए दस्तावेज़ में इन पनडुब्बियों की युद्धक प्रणालियों से जुड़ी अहम सूचनाएं भी शामिल हैं.

बुधवार को नौसेना सूत्रों ने इस बात पर पूरा भरोसा जताया था कि समाचारपत्र 'द ऑस्ट्रेलियन' द्वारा प्रकाशित ख़बर में जिन 22,000 से ज़्यादा पृष्ठों का ज़िक्र है, वे यहां (भारत में) मौजूद सूत्रों ने लीक नहीं किए. इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा था कि इस लीक से दुनिया के सबसे बड़े रक्षा संबंधी प्रोजेक्टों में शुमार किए जाने वाले इस प्रोजेक्ट की गोपनीयता खतरे में नहीं पड़ी. हालांकि इस दूसरे दावे पर विशेषज्ञों की राय जुदा है, और उनका कहना है कि जो सूचनाएं लीक हो गई हैं, उनसे भारत को बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.

नौसेना सूत्रों ने बुधवार को कहा था कि लीक हुए दस्तावेज़ों में जिन प्रणालियों और खासियतों का ज़िक्र है, वे 2011 के हैं, और अब सब बदल चुका है.
फ्रांसीसी डीसीएनएस ने कहा है कि यह लीक 'आर्थिक जंग' का परिणाम हो सकती है, क्योंकि उनकी प्रतियोगी कंपनियां इस बात से आहत थीं कि उन्हें ऑस्ट्रेलिया से लगभग 38 अरब डॉलर कीमत में 12 पनडुब्बियों का सौदा मिला. लीक हुए दस्तावेज़ों में ऑस्ट्रेलियन डिज़ाइन की कोई जानकारी शामिल नहीं है.
रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने इस लीक को 'हैकिंग' बताया था, और इसके बारे में बुधवार को ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ब्रीफिंग भी दी थी.