नई दिल्ली: वैश्विक मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने जम्मू एवं कश्मीर सरकार से पैलेट गन का इस्तेमाल बंद करने की मांग की है, जिसके कारण कश्मीर घाटी में विरोध प्रदर्शनों में मौतें हुईं हैं और सैकड़ों लोगों की आंखों की रोशनी चली गई है. 'एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया' के वरिष्ठ अभियान संचालक जहूर वानी ने एक बयान में कहा, 'पैलेट गन का इस्तेमाल स्वाभाविक रूप से गलत और विवेकहीन है और कानून प्रवर्तन में इनकी कोई जगह नहीं है.'

बयान में कहा गया है, 'एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया' जम्मू एवं कश्मीर सरकार से विरोध प्रदर्शनों के नियत्रंण में पैलेट गन का इस्तेमाल तत्काल रोकने की मांग करती है.' बयान के मुताबिक, 'इनसे सही निशाना सुनिश्चित नहीं किया जा सकता और इनके कारण पास खड़े लोगों या ऐसे प्रदर्शकारियों को गंभीर चोट पहुंच सकती है जो हिंसा में शामिल नहीं हैं. इन खतरों को नियंत्रित करना लगभग असंभव है.'

एमनेस्टी ने पैलेट गन को ऐसा 'कम घातक हथियार' कहा है, जिसके 'घातक परिणाम' होते हैं. प्रशासन ने पैलेट गन को 'गैर घातक' हथियार करार दिया हुआ है. बयान के मुताबिक, 'जम्मू एवं कश्मीर में पैलेट गन से लगी चोट के कारण तीसरे व्यक्ति की मौत इस बात की सूचक है कि इस 'कम घातक हथियार' के 'घातक परिणाम' हो सकते हैं.' श्रीनगर के 23 वर्षीय रियाज अहमद शाह की मौत बुधवार को पैलेट गन से चली गोली से हो गई थी.

एमनेस्टी के मुताबिक, 'पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक, रियाज को नजदीक से गोली मारी गई थी और उसके महत्वपूर्ण अंगों को क्षति पहुंची थी. राज्य पुलिस ने अज्ञात सुरक्षाकर्मी के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया है.'आठ जुलाई को हिजबुल कमांडर बुरहान वानी की हत्या के बाद सुरक्षा बलों से संघर्ष में 50 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और हजारों घायल हो चुके हैं.