नई दिल्ली: जमात उद दावा के हाफिज़ सईद ने भारत के गृह मंत्री राजनाथ को सार्क की बैठक में शिरकत के लिए पाकिस्तान न आने की सलाह दी है। हालांकि सूत्रों के मुताबिक गृहमंत्री राजनाथ सिंह पाकिस्तान जाएंगे और उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी मेजबान देश पर होगी। लेकिन यहां अब पाकिस्तान पर सवाल उठ रहा है कि वह हाफिज की धमकी के खिलाफ बयान क्यों नहीं दे रहा। खासकर यह पूछा जा रहा है कि क्या अब पाकिस्तान की नीति आतंकी तय करेंगे।
दरअसल पाकिस्तान की मौजूदा चुप्पी कश्मीर में हुई हालिया घटनाओं के लिए जिम्मेदार होने पर भी मुहर लगाती है। बीते दिनों हिज्बुल आतंकी बुरहान वानी की मौत पर न सिर्फ काला दिवस मनाया जा चुका है बल्कि इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठाने की कोशिशें भी की जा रही हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि पाकिस्तान सरकार की शह पर ही जमात उद दावा जगह-जगह रैलियां कर कश्मीर के मुद्दे को उठाने की बात कह रहा है।
बताया जाता है कि सार्क मीटिंग के लिए जो प्रतिनिधि मंडल पाकिस्तान जा रहा है उसका स्तर भारत सरकार ने काफी सामान्य कर दिया है क्योंकि माना जा रहा है कि इस बैठक में ज्यादातर आंतरिक मामलों के मंत्री हिस्सा लेंगे और सरकार की विदेश नीति यह लोग तय नहीं करते। एनडीटीवी इंडिया को मिली हुई जानकारी के मुताबिक आईबी प्रमुख दिनेश्वर शर्मा या अन्य कोई वरिष्ठ अधिकारी इस बैठक में हिस्सा नहीं लेगा। सिर्फ गृह सचिव और कुछ संयुक्त सचिव जा रहे हैं जो कि गृह मंत्रालय का हिस्सा हैं। वैसे गृह मंत्री भी एक दिन के लिए यानी सिर्फ 3 अगस्त को ही पाकिस्तान जा रहे हैं।
भारत सार्क के लिए वचनबद्ध है। ठंडे बस्ते में पड़ी द्विपक्षीय वार्ता के बाद अब अगर बहुपक्षीय वार्ताओं के भी रास्ते रुकते हैं तो इसका असर मोदी सरकार की छवि पर पड़ेगा। दरअसल भारत पाकिस्तान को मौका नहीं देना चाहता यह कहने का कि भारत ने बातचीत के सारे रास्ते बंद कर लिए हैं। वैसे राजनाथ का जाना इस बात के लिए भी हरी झंडी माना जा रहा है कि साल के अंत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी पाकिस्तान जाएंगे।