लखनऊ: महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी चन्द्रशेखर आजाद व उनके साथी भारत को स्वतंत्र कराकर देश में समाजवादी समाज व व्यवस्था की स्थापना करना चाहते थे, इसीलिए उन्होंने भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरू व बटुकेश्वर दत्त जैसे चिंतनशील क्रांतिकारियों को एकत्र कर हिन्दुस्तान रिपब्लिकन सोशलिस्ट एसोसिएशन की स्थापना की थी। आजाद सांप्रदायिकता के घोर विरोधी थे। आजाद एवं समाजवादी क्रांतिकारियों ने 1928 में देश की राजनीति को नया व निर्णायक मोड़ देते हुए सोशलिज़्म को भारतीय लोकमानस का स्वप्न बना दिया। डा० लोहिया ने आजाद के समाजवाद को सिद्वांत का रूप देकर व्यवहारिक बनाया। समाजवादी व्यवस्था व सोच को मजबूत करना ही चन्द्रशेखर आजाद को दी गयी सच्ची श्रद्धांजलि है।
यह बातें सपा प्रभारी व कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने चन्द्रशेखर आजाद व लोकमान्य तिलक की जयंती के उपलक्ष्य में 7 कालीदास मार्ग स्थित शिविर कार्यालय में आयोजित चिन्तन बैठक के दौरान कही। लोकमान्य तिलक के व्यक्तित्व को नमन करते हुए शिवपाल ने कहा कि तिलक के स्वराज एवं आजाद द्वारा प्रतिपादित समाजवाद की अवधारणा तात्विक तौर पर एक है। तिलक के जीवन से देश के लिए सर्वस्व न्यौछावर करने और समाज की बेहतरी के लिए सदैव संघर्ष करने की प्रेरणा मिलती है। सांप्रदायिकता को आजाद भारत का सबसे बड़ा नासूर बताते हुए श्री यादव ने कहा कि चन्द्रशेखर, अशफाक उल्ला खाँ के शिष्य थे और भगत सिंह के साथ मिलकर जीवन पर्यन्त स्वतंत्रता और समाजवाद के आन्दोलन को धार दी थी। जो लोग अल्पसंख्यकों की देश भक्ति पर सवाल खड़ा करते हैं, उन्हें उशफाक उल्ला खाँ, आजाद व तिलक सदृश महान सेनानियों का इतिहास पढ़ना चाहिए।
समाजवादी चिन्तक व चिन्तन सभा के अध्यक्ष दीपक मिश्र ने कहा कि इतिहास ने चन्द्रशेखर आजाद की छवि सिर्फ एक ऐसे क्रांतिकारी की बनाकर रख दी है जो आजादी की लड़ाई की अगुवाई करता है। इसके इतर आजाद के व्यक्तित्व के अन्य रचनात्मक पहलुओं व वैचारिक पक्ष पर पर कभी व्यापक व गहन चर्चा नहीं की गई। आजाद को सस्कृत और समकालीन समाजवादी व क्रांतिकारी साहित्य की गहरी जानकारी थी। वे शिव वर्मा, भगत सिंह व बटुकेश्वर दत्त से साहित्य पढ़वाकर सुना करते थे और बहस आयोजित करवाया करते थे। हिन्दुस्तान रिपब्लिकन सोशलिस्ट एसोसिएशन के घोषणा पत्र व पर्चों से स्पष्ट होता है कि आजाद के चिन्तन का फ़लक काफी विस्तृत था। चिन्तन बैठक में लुआक्टा के अध्यक्ष मनोज पाण्डेय, समाजवादी चिन्तन सभा के महासचिव अभय यादव, अग्रवाल सभा के अध्यक्ष राजेश अग्रवाल, लोहिया वाहिनी के प्रदेश सचिव लक्ष्मीनाथ कश्यप समेत कई वक्ताओं ने अपने विचार रखे। परिचर्चा के पश्चात् स्वतंत्रता संग्राम एवं समाजवादी आन्दोलन से संबंधित साहित्य का भी वितरण किया गया।