लखनऊ : आतंकवाद को बढ़ावा देने में चरमपंथी मौलवियों की भूमिका पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए मजलिसे ओलमाये हिन्द के महासचिव मौलाना सैयद कल्बे जवाद नकवी ने अपने बयान में कहा कि वैश्विक आतंकवाद को बढ़ावा मौलवियों के वे फतवा दे रहें है जो उन्होंने सभी मसलकों और धर्मों के खिलाफ दिए हैं ,मौलवियों के ऐसे फतवों के आधार पर दुनिया में आतंकवाद फैला रहा है। वह विचारधारा जो अपने अलावा किसी को मुसलमान और इन्सान न समझती हो विश्व शांति के लिए खतरनाक है। मौलाना ने बतौर उदाहरण कुछ फतवे पेश करते हुए कहा कि इब्ने तैमिया जो सल्फियत तकफीरियत वहाबियत का संस्थापक माना जाता है उसका फतवा है कि अगर कोई कब्रे रसूले इस्लाम स0अ0 के पास जाकर या किसी वलीए खुदा की कब्र पर जाकर शिफा मांगे, उन्हें वसीला करार दे वह मुशरिक है क्योंकि अल्लाह के अलावा कोई इस काम में सक्षम नहीं है तो यह शिर्क है। ऐसा करने से तौबा कराई जाए और अगर वह तौबा न करे तो उसकी हत्या अनिवार्य है। दूसरा फतवा मुहम्मद बिन अब्दुल वहाब का है, वह कहता है कि जो पैगम्बरों,फरिशतों,नेक बन्दों और वलियों से तवस्सुल करे, उन्हें वसीला बनाये उनके जरिए दुआ करे एसे लोगों क खून बहाना हलाल है,उनका माल लौटना मुबाह है। यह फतवा किताब कशफुल शुबहात के पेज 58 पर दर्ज है ।उनका दूसरा फतवा यह है कि जो ओलिया और नेक बन्दों को वास्ता घोषित करे उसमें और मूर्ति पुजा करने वालों मै में कई अंतर नहीं है,जिस तरह मूर्ति पुजा करने वालों की हत्या करना जायज है उसी तरह अहलेबैतए अ0स0,पेगम्बरों, और ओलिया को वास्ता बनाने वालों को कतल करना भी जायज है।यह फतवा मलफूजात ए मोहम्मद बिन अब्दुल वहाब में दर्ज है।
मौलाना ने कहा कि इमामए काबा जो यहाँ भारत मै शांति के दूत बनकर आते हैं और कहा जाता है कि वह भारत में शांति और सुलह के राजदूत बनकर आ रहे हैं यह केवल धोखा देने के लिए है । जिन लोगों के फतवे विश्व शांति को नष्ट कर रहे हैं उन्हें ही शांति का दूत कहा जा रहा ये फरेब देने के लिये है। सल्फियत को बनाया ही इसलिए गया था ताकि इस्लाम के पेगाम और अहलेबैत के संदेशों के बिगाडा जा सके,कुरान की शिक्षाओं को बदनाम किया जा सके।सल्फियत के उपदेशक भारत में बड़े पैमाने पर बनाम ए इस्लाम काम कर रहे हैं। जो विद्वान और घर्मगुरू आज आतंकवाद को बठावा देने के कारण दोषी करार दिए जा रहे हैं उनका उद्देश्य इस्लाम का प्रचार नहीं है बल्कि इस्लाम के नाम पर वहाबियत और सल्फियत का प्रचार करना मकसद है।
मौलाना ने इस्लामी कानून की आफाकियत पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस्लाम केवल मुसलमान होने के आधार पर शांति और सुरक्षा का आदेश नहीं देता बल्कि मानवता के आधार पर शांति और सुरक्षा का आदेश देता है।इस्लाम हर धर्म के लोगों की जान-माल की हुरमत और एहमियत का कायल है ।
मौलाना ने कहा कि हम हमेशा एकता की दावत देते है।लेकिन हम मुसलमानों से एकता के कायल हैं यजीदयों से एकता के कायल नहीं हैं। जो लोग खुले आम रसूलए इस्लाम स0अ0 के अपमान के दोषी हैं, यजीद की सराहना करते हैं, और इमामों व ओलिया का अपमान कर चुके हैं उनसे कभी एका नहीं हो सकता ।मौलाना ने कहा कि जिस विचारधारा को इस्लाम के नाम पर बढ़ावा दिया जा रहा है और जो मुबल्लिग इस्लामी विद्वानों के रूप में पेश किये जा रहे हैं उनके उपदेश और विचारों को समझने की जरूरत है । इस्लाम शांति और अमन का धर्म है इस्लाम ने कहीं किसी अन्य धर्म के अपमान का आदेश नहीं दिया है।