लखनऊ। असंगठित कामगार अधिकार मंच उत्तर प्रदेश द्वारा छठे राज्य-स्तरीय कामगार सम्मेलन का आयोजन आज गांधी भवन, कैसरबाग हुआ । कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में कैबिनेट मंत्री श्रम एवं सेवायोजन शाहिद मंजूर जी रहे तथा अतिथि के रुप में अनुश्रवण समिति के अध्यक्ष जगदेव यादव, पारिश्रमिक कल्याण बोर्ड की अध्यक्षा विद्यावती राजभर उपस्थित रहीं।
कार्यक्रम का आरम्भ करते हुये विज्ञान फाउण्डेशन के संजय ने बताया कि असंगठित कामगार मंच उत्तर प्रदेश के असंगठित क्षेत्र के कामगारों के साथ काम करने वाले जनसंगठनों का एक साझा मंच है जो श्रमिकों की आजीविका व अधिकारों के लिये पिछले कई सालों से कार्य करता रहा है। आज के कार्यक्रम के उद्देश्य के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि श्रमिकों की राष्ट्र-निमार्ण में अहम् भूमिका रहती है पर अपने परिश्रम के बदले उन्हें खुद की पहचान व अधिकारों के साथ-साथ किसी प्रकार की सुरक्षा व सुविधा नहीं मिलती। इन मुद्दों को ध्यान मे रखते हुए राज्यस्तरीय सम्मेलन में श्रमिकों द्वारा सरकार के समक्ष कुछ माँगंे रखी जायंेगी। इसके पश्चात् एक्शन एड के क्षेत्रीय प्रबंधक श्री खालिद चैधरी जी ने कहा कि एक्शन एड लम्बे समय से श्रमिकों के अधिकारों व षहरी गरीबों के मुद्दे पर काम करता रहा है। संस्था का विश्वास है कि एकजुट हो कर ही उनके पहचान के लिए काम किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि उन्हें पूरी उम्मीद है कि प्रदेश सरकार घरेलू कामगारों के मुद्दे और श्रमिक पंजीयन से जुड़ी समस्याओं पर त्वरित कार्यवाही करेगी।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुये अध्यक्षा, समान पारिश्रमिक श्रम समिति विद्यावती राजभर ने बताया कि पूरे देश में 80 लाख से भी अधिक श्रमिक भवन एवं ंअन्य सन्निर्माण कार्यो में लगे हैं। यह श्रमिक वर्ग भारत के असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के सबसे संवेदनशील वर्गो में से एक है इनका कार्य अस्थाई है मालिक और कामगर के बीच सम्बन्ध अस्थाई है। कार्य का समय अनिश्चित है श्रमिकों को मिलने वाली बुनियादी सुविधाएं प्रर्याप्त नही हैं इसके साथ जीवन और शरीर के बीच खतरा भी निहित है भवन एवं सन्निर्माण श्रमिकों के लिये कानून है फिर भी किसी स्तर पर श्रमिकों की सुरक्षा नही थी। श्रमिकों के रोजगार, सेवा, सुरक्षा, स्वास्थ, आजीविका और कल्याण करने के उद्देश्य से 3 नवम्बर 1995 को राष्टृपति द्वारा यह अध्यादेश लागू किया गया ।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कैबिनेट मंत्री शाहिद मंजूर ने मज़दूरों के अधिकारों को सुनिश्चित करने हेतु श्रम विभाग द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि असंगठित कामगार चाहे निर्माण मजदूर हो या रिक्शा चालक, पटरी दुकानदार या घरों में काम करने वाली महिलाएं ये सब रात-दिन कठोर मेहनत करके अपने परिवार के पालन-पोषण के साथ महानगरों को भी तेज रफ्तार देने में अहम भूमिका निभाते हंै। देश और प्रदेश की आबादी का बड़ा हिस्सा उच्च और मध्यम वर्ग की दिनचर्या को भी सभी प्रकार से नियमित करने में अपना सहयोग प्रदान करते है। इन्हें भी एक पहचान और स्थायित्व देना सरकार की ज़िम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि इस मुददे पर हम सभी लोग एक हैं और उत्तर प्रदेष सरकार भी संजीदा है। इनकी समस्याओं के निस्तारण के लिए सरकार की जो भी भूमिका होगी उसे करने में उनका विभाग कहीं से भी पीछे नहीं रहेगा। इसके साथ ही श्रमिकों का उत्साह वर्धन करते हुये माननीय मत्री जी ने कहा कि श्रमिकों के साथ किसी भी तरह की कोई समस्या या उनके अधिकारों का हनन होता है तो उन्हे अवश्य आगे आकर अपने हक की मांग करनी चाहिये।
अनुश्रवण समिति के अध्यक्ष जगदेव यादव ने कहा कि बोर्ड के द्वारा किसी भी तरह की लापरवाही नहीं होगी बोर्ड हर का हर सम्भव प्रयास रहेगा कि श्रमिकों को अधिक से अधिक योजनाओ से जोड़ कर उनकी आजीविका में सुधार किया जा सके। उन्होंने कहा कि श्रमिक हमारे देश के कर्णधार हैं। उनके हित के बिना किसी भी प्रगतिशील समाज की कल्पना नहीं की जा सकती। बढ़ते शहरीकरण और गांवों से बढ़ते पलायन के मद्देनज़र अधिकाधिक श्रमिक षहरों में आकर दयनीय दशाओं में रहने और काम करने को मजबूर हैं। ऐसे में सरकार की ज़िम्मेदारी इस दिशा में और भी बढ़ जाती है कि हम जल्द से जल्द उनकी पहचान और सामाजिक सुरक्षा की दिषा में सार्थक कदम उठाएं।
इस अवसर पर एच.एन तिवारी राष्ट्रीय सचिव-इंटक ने मजदूरों के मुद्दों को अपना समर्थन देते हुए कहा कि वे हमेशा श्रमिकों के अधिकारों की पैरवी करते रहे हैं और उनका पूरा विश्वास है कि वर्तमान सरकार श्रमिक अधिकारों को ध्यान में रखते हुए उनकी मांगों को अवश्य संज्ञान में लेकर आवश्यक कार्यवाही करेगी।
अखिल भारतीय प्रोग्रेसिव विमेन एसोसिएशन की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ताहिरा हसन ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था में असंगठित क्षेत्र के कर्मकारों की महती भूमिका है। उन्हीं के श्रम से आज वो षहर चमकते हैं जिन्हें आज की बढ़ती अर्थव्यवस्था का इंजिन कहा जाता है। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर श्रम संगठनों द्वारा इन श्रमिकों की पहचान के लिए कदम उठाए जाने की लगातार मांग की जा रही है पर हम अभी भी इस दिषा में पीछे हैं। अब समय आ गया है कि मेहनतकश अपनी दावेदारी साबित करें और अपना वाजिब हक़ मांगें।
गिरीश चन्द्र पांडेय राष्ट्रीय सचिव हिन्द मज़दूर सभा ने कहा कि उनके संगठन का प्रयास है कि श्रमिकों को उनका वाजिब हक मिले और उनके सांगठनिक प्रयास रंग लाए। सभा को डी.एल. सचदेव राष्ट्रीय सचिव एटक, प्रेमनाथ राय सचिव सीटू व आशा मिश्रा जी ने भी सम्बोधित किया।
इसी क्रम में दिहाडी मजदूर संगठन के जिला अध्यक्ष संतोष यादव ने कहा कि सरकार के द्वारा बहुत सारी योजनाये चलाई जा रही है लेकिन हमारे श्रमिक भाइयों की पहँुच से काफी दूर है क्योंकि अधिकांश श्रमिकों का पंजीकरण नहीं हो पाया है।