नई दिल्ली: संसद के दोनों सदनों के करीब 800 सांसदों की बेसिक सैलरी 50,000 रुपये से दोगुनी कर एक लाख रुपये प्रति महीने की जा सकती है। सांसदों की एक समिति द्वारा नए वेतन की सिफारिश के बाद मंत्रियों के एक समूह ने इसे मंजूरी देकर कैबिनेट को सौंप दिया है और अब इस पर अंतिम निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लेंगे। अगर पीएम मोदी नई सिफारिशों पर अपनी सहमति जता देते हैं, तो इसे संसद के इसी सत्र में मंजूरी मिल जाने की संभावना है। नया वेतनमान 1 अप्रैल से लागू होगा। संसद का मॉनसून सत्र सोमवार से शुरू होकर 5 अगस्त तक चलेगा।
नई सिफारिशों के बाद सांसदों की तनख्वाह दोगुनी होकर एक लाख रुपये प्रति माह हो जाएगी। बढ़ी हुई तनख्वाह के अनुरूप ही भत्तों में भी बढ़ोतरी होगी। सांसदों के अपने संसदीय क्षेत्र के लिए यात्रा भत्ते और अन्य रकम भी बढ़कर 90,000 रुपये महीने हो जाएंगे। साथ ही ऑफिस स्टाफ के लिए उन्हें मिलने वाले पैसे भी दोगुने हो जाएंगे।
सांसदों को अपने सरकारी आवास के फर्नीचर के लिए मिलने वाला सालाना भत्ता भी दोगुना होकर 1,50,000 रुपये हो जाएगा। इसके अलावा उनके संसदीय क्षेत्र के आवास के लिए 1700 रुपये का मुफ्त ब्रॉडबैंड भी मुहैया कराया जाएगा। पूर्व सांसदों के लिए मासिक पेंशन 20,000 रुपये से बढ़कर 35,000 रुपये हो जाएगी।
सांसदों को वेतन एवं भत्ते मिलाकर महीने में 1,90,000 की जगह 2,80,000 रुपये मिलेंगे (वेतन, संसदीय क्षेत्र भत्ता एवं ऑफिस स्टाफ के भत्ते शामिल)। भारतीय सांसदों का वेतन पुनरीक्षण छह साल पहले हुआ था। हालांकि आलोचकों के इस तर्क से कुछ सांसद सहमत हैं कि सांसदों को खुद की सैलरी बढ़ाने का अधिकार नहीं होना चाहिए।
तृणमूल कांग्रेस के सांसद प्रसून बनर्जी ने कहा, मैं इस बढ़ोतरी के खिलाफ हूं। हम यहां लोगों की सेवा करने के लिए हैं, और हमें जो कुछ मिल रहा है, वह पर्याप्त है। वहीं, सीपीएम नेता एम राजेश ने कहा, हमारा साफ मानना है कि वेतन बढ़ोतरी हमारे द्वारा नहीं तय की जानी चाहिए, बल्कि इसके लिए कोई स्वतंत्र निकाय होना चाहिए।
कुछ हफ्ते पहले ही छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के मद्देनजर केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी में बढ़ोतरी की घोषणा के बाद अधिकतर सांसद अपनी सैलरी बढ़ाए जाने के पक्ष में हैं। सत्तारूढ़ बीजेपी के सांसद जगदंबिका पाल का कहना है, सरकारी कर्मचारियों की सैलरी बढ़ा दी गई है, सांसदों की तनख्वाह भी बढ़नी चाहिए। वहीं तेलुगु देशम पार्टी के केआर नायडू का तर्क है कि समुचित वेतन से भ्रष्टाचार खत्म होगा।